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पहाड़ पर बंद के खिलाफ हाइकोर्ट में जनहित याचिका

कोलकाता. गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) द्वारा आहूत 12 घंटे के बंद के खिलाफ शुक्रवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी. मामले की सुनवाई सोमवार को हाइकोर्ट की कार्यनिर्वाही मुख्य न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे व न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती के बेंच में होगी. हाइकोर्ट के वकील रमा प्रसाद सरकार द्वारा दायर इस याचिका में दार्जिलिंग […]

कोलकाता. गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) द्वारा आहूत 12 घंटे के बंद के खिलाफ शुक्रवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी. मामले की सुनवाई सोमवार को हाइकोर्ट की कार्यनिर्वाही मुख्य न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे व न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती के बेंच में होगी. हाइकोर्ट के वकील रमा प्रसाद सरकार द्वारा दायर इस याचिका में दार्जिलिंग में बुलाये गये बंद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी है. इसके साथ ही अचानक बंद का आह्वान करने के कारण वहां ठहरे पर्यटकों को काफी परेशानी हुई है.

उन्होंने पर्यटकों को हुई परेशानी के एवज में मुआवजा देने का आवेदन किया है. याचिकाकर्ता रमा प्रसाद सरकार ने अपने आवेदन में कहा है कि गुरुवार को गोजमुमो समर्थकों द्वारा दार्जिलिंग के विभिन्न क्षेत्रों में हिंसा फैलायी गयी थी. हिंसा के दौरान सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया गया था. उन्होंने इस संबंध में गोजमुमो से जुर्माना अदा करने की मांग की है.

गौरतलब है कि पहाड़ में बंद को लेकर इससे पहले भी वर्ष 2013 में हाइकोर्ट में याचिका दायर हुई थी और उस समय तत्कालीन न्यायाधीश अरुण मिश्रा की डिविजन बेंच ने पहाड़ पर किसी प्रकार के बंद व अवरोध को गैरकानूनी घोषित किया था. गौरतलब है कि जुलाई 2013 में गोजमुमो ने तीन सप्ताह तक लगातार पहाड़ बंद बुलाया था. राज्य सरकार ने बंद के दौरान हुए नुकसान के संबंध में रिपोर्ट जमा की थी और कहा था कि बंद से लगभग 75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

हाइकोर्ट ने गोजमुमो से यह राशि चुकाने को कहा था. हाइकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ गोजमुमो ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. हालांकि, गोजमुमो द्वारा जुर्माना की राशि जमा नहीं करायी गयी थी. इसके बाद सितंबर 2016 में गोजमुमो ने एक बार फिर बंद बुलाया था. इस बार मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट के न्यायाधीश गिरीश गुप्ता की डिवीजन बेंच ने गोजमुमो को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर भविष्य मेें गोजमुमो द्वारा कोई याचिका दायर की जाती है, तो हाइकोर्ट स्वयं सुओमोटो मामले करते हुए कानूनी कार्रवाई करेगा.

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