कोलकाता.कलकत्ता विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा विभाग की एक सलाह के बावजूद शिक्षकों को कैरियर उन्नति योजना (सीएएस) की पेशकश करने का फैसला किया है, जिसमें राज्य सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों को किसी भी पदोन्नति लाभ की पेशकश करने से परहेज करने के लिए कहा गया है. इस विषय में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार देवाशीष दास ने बताया कि उन्होंने कानूनी राय लेने के बाद यह फैसला किया है. गौरतलब है कि सरकार ने विश्वविद्यालयों से सीएएस लाभ का विस्तार करके राज्य सरकार के अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने से बचने की सलाह दी थी. रजिस्ट्रार ने कहा कि विश्वविद्यालय लाभ की पेशकश करके पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय (व्यय नियंत्रण) अधिनियम, 1976 की धारा 3(1) (2) का उल्लंघन नहीं करेगा. ऐसी योजनाएं यूजीसी के आदेशों द्वारा निर्देशित होती हैं. इसलिए विश्वविद्यालय ने कानूनी राय के बाद योजना को लागू करने का निर्णय लिया है. हम किसी भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं कर रहे हैं.हम सिर्फ मौजूदा शिक्षकों को लाभ दे रहे हैं. ध्यान रहे, विभाग द्वारा अप्रैल में जारी एडवाइजरी में कहा है, ‘यह राज्य सरकार के संज्ञान में आया है कि धारा 3(1) (2) का उल्लंघन करके विश्वविद्यालय के शिक्षण कर्मचारियों को सीएएस का लाभ दिया गया है. विश्वविद्यालय सीएएस लाभ प्रदान करने में उपरोक्त प्रावधानों का उल्लंघन करने से बचें.
कथित तौर पर राज्य शिक्षा विभाग से परामर्श किये बिना कार्यवाहक कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर शिक्षा विभाग और राज्य सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राज्यपाल के बीच खींचतान के बीच यह सलाह जारी की गयी थी. कलकत्ता विश्वविद्यालय का संचालन कार्यवाहक वी सी शांता दत्ता द्वारा किया जा रहा है, जिन्हें पिछले साल जून में चांसलर द्वारा नियुक्त किया गया था. पदोन्नति योजना पर रोक से शिक्षकों के बीच करियर संबंधी चिंताएं पैदा हो गयी हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय (व्यय नियंत्रण) अधिनियम 1976 की गलत व्याख्या करके कैरियर उन्नति योजना को रोकने की कोशिश कर रही है. इस मसले पर कलकत्ता यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के सचिव सनातन चट्टोपाध्याय ने कहा कि अधिनियम की धारा 3 भत्ता देने पर लागू होती है लेकिन भत्ता और उन्नति योजना दो अलग-अलग चीजें हैं. सीयू के रजिस्ट्रार ने कहा कि पदोन्नति योजना शुरू में विश्वविद्यालय के 20 शिक्षकों को दी जायेगी. उम्मीदवारों का मूल्यांकन उनके एकेडमिक परफोरमेंस सूचकांक (एपीआई) स्कोर के आधार पर किया जायेगा.
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