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हैदराबाद ऑफिस की संपत्ति बेचने का निर्देश

कोयला श्रमिकों के पेंशन के भविष्य को लेकर संशय की स्थिति के बीच केंद्र सरकार ने सीएमपीएफओ का विलय इपीएफओ में करने की प्रक्रिया तेज कर दी है. इसके कारण जेबीसीसीआइ की अगली बैठक में काफी हंगामा होने के आसार बढ़ गये हैं. आसनसोल : कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) को इपीएफओ में विलय […]

कोयला श्रमिकों के पेंशन के भविष्य को लेकर संशय की स्थिति के बीच केंद्र सरकार ने सीएमपीएफओ का विलय इपीएफओ में करने की प्रक्रिया तेज कर दी है. इसके कारण जेबीसीसीआइ की अगली बैठक में काफी हंगामा होने के आसार बढ़ गये हैं.
आसनसोल : कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) को इपीएफओ में विलय को लेकर कोयला मंत्रालय फूल स्पीड में कार्य कर रहा है. कोयला मंत्रलय ने सीएमपीएफओ के आयुक्त को दिये ताजा निर्देश में हैदराबाद स्थित रिजनल कार्यालय की संपत्ति को बेच देने का आदेश दिया है. यह आदेश आयुक्त को मिल भी गया है. आयुक्त ने इस दिशा में कार्रवाई शुरू भी कर दी है. आयुक्त बीके पांडा ने आदेश की पुष्टि करते हुए कहा कि मंत्रालय से मिले आदेश के आलोक में प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है.
क्या है मंत्रालय के जारी आदेश में
कोयला मंत्रालय के उप सचिव और विलय के लिए बनी कमेटी के सचिव महेन्द्र प्रताप ने सीएमपीएफओ के आयुक्त बीके पांडा को कोयला सचिव सुशील कुमार की अनुमति से एक अत्यावश्क पत्र लिखा.
जिसके मुताबिक हैदराबाद स्थित खाली पड़े कार्यालय एवं आवासीय को डिस्पोज कर दिया जायेगा. डिस्पोज नहीं होने तक यथाशीघ्र इन संपत्तियों को रेंट पर दे दिया जायेगा. सूत्र बताते हैं कि मंत्रालय के पत्र में खाली कार्यालय एवं आवासीय परिसर की बात विरोधाभासी है. बीते 28 फरवरी को ट्रस्टी बोर्ड की बैठक में गोदावरी खनी रिजनल ऑफिस तथा भूप्पलापल्ली सब रिजनल ऑफिस को हैदराबाद शिफ्ट करने का निर्णय हुआ था. इस आलोक में आयुक्त श्री पांडा ने 29 मार्च को एक आदेश जारी कर गोदावरी खनी रिजनल ऑफिस को 20 अप्रैल तक शिफ्ट करने का आदेश दिया था. इसी बीच मंत्रालय के आदेश पर आयुक्त ने 12 अप्रैल को आदेश जारी कर शिफ्ट करने की प्रक्रिया अगले आदेश तक टाल दिया था. मंत्रालय के ताजे आदेश में खाली परिसर को जानकार सूत्र मात्र बहाना मानते हैं. वे इसे विलय की प्रक्रिया से जोड़ कर देखते हुए कहते हैं कि मंत्रालय बहाना बना रहा है.
पहले शुरू हो चुकी है विलय की प्रक्रिया
कोयला मंत्रालय ने बहुत पहले ही सीएमपीएफओ को इपीएफओ में विलय की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए मंत्रालय ने मंत्रलय के अतिरिक्त सचिव सुरेश कुमार की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. कमेटी के सचिव मंत्रालय के उप सचिव महेन्द्र प्रताप, संयुक्त सचिव आरपी गुप्ता, संयुक्त सचिव व वित्तीय सलाहकार रीना सिन्हा पुरी, आर्थिक सलाहकार अनिमेष भारती और सीएमपीएफओ के आयुक्त बीके पांडा सदस्य हैं. कमेटी विलय के रेफरेंस को देखेगी. मसलन कानूनी पहलू, कोयलाकर्मी स्वीकार करेंगे या नहीं, सीएमपीएफ एक्ट में कौन सा बदलाव करना होगा, विलय का रोड मैप आदि तय करना है. इस कमेटी की पहली बैठक एक मई को नयी दिल्ली मे होनेवाली है. वहीं कोयला मजदूर और ट्रेड यूनियनें इस विलय का जोरदार विरोध कर रही हैं.
सीएमओएआइ का शिष्टमंडल मिला आयुक्त से
सांकतोडिया. सरकार द्वारा कोयला खान भविष्य निधि (सीएमपीएफ) का इपीएफओ में विलय के फैसले का कोयला अधिकारियों ने कड़ा विरोध जताया है. कोल माइन्स ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमओएआइ) के शिष्टमंडल ने सीएमपीएफ के आयुक्त बालकृष्ण पांडा से मुलाकात की एवं अपनी समस्याओं से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि सीएमपीएफ का इपीएफओ में विलय से अधिकारियों के साथ-साथ कर्मचारियों को भी भारी आर्थिक नुकसान होगा.
इस समय सीएमपीएफ द्वारा अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन तथा डीए का 25 प्रतिशत पेंशन मिलता है. इपीएफओ में विलय से अधिकारियों को सात से 7500 हजार रूपये ही पेंशन मिलेगे. वर्तमान में अधिकारियों को 30 -35 हजार रूपये पेंशन मिलते है. आयुक्त श्री पांडा ने प्रतिनिधिमंडल को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. इधर विलय का विरोध अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ ने भी किया है. नागपुर में कार्यकारिणी की त्रिदिवसीय बैठक में विरोध का प्रस्ताव पारित किया गया.

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