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आरएनआर पॉलिसी में संशोधन का प्रस्ताव

कोयला मंत्रालय की मंजूरी मिलते ही सभी कोयला कंपनियों में प्रभावी इसके क्रियान्वयन से कोयला कंपनियों की जमीन संबंधी परेशानी होगी दूर सांकतोड़िया. नये प्रोजेक्ट खोलने में जमीन संबंधी सबसे बड़ी अड़चन को दूर करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) की आरएनआर पॉलिसी में संशोधन का प्रस्ताव कोयला मंत्रलय को भेजा गया है. संशोधन […]

कोयला मंत्रालय की मंजूरी मिलते ही सभी कोयला कंपनियों में प्रभावी
इसके क्रियान्वयन से कोयला कंपनियों की जमीन संबंधी परेशानी होगी दूर
सांकतोड़िया. नये प्रोजेक्ट खोलने में जमीन संबंधी सबसे बड़ी अड़चन को दूर करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) की आरएनआर पॉलिसी में संशोधन का प्रस्ताव कोयला मंत्रलय को भेजा गया है. संशोधन प्रस्ताव पर कोयला मंत्रलय की मुहर लगते ही इसकी अधिसूचना जारी की जायेगी.
इसीएल के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि नयी पॉलिसी में जमीन के बदले रैयतों को कई तरह की सुविधाएं देने का प्रस्ताव है, ताकि विस्थापितों को यह परेशानी न हो कि जमीन के अधिग्रहण के बाद परिवार के सामने आर्थिक संकट न खड़ा हो. इसके साथ ही विस्थापितों के कौशल विकास के साथ ग्रामीण विकास पर भी विशेष ध्यान देने की बात शआमिल है. तकनीकी व अन्य पदों पर सीधी नियुक्ति की प्रक्रिया व परियोजना निर्माण में उनकी अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने पर जोर है. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों ने अन्य कंपनियों की आरएनआर पॉलिसी का अध्ययन कर नयी पॉलिसी तैयार की है. सूत्रों ने बताया कि इसके लिए इसीएल के प्रभारी सीएमडी आरआर मिश्र की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गयी है.
जिसमें इसीएल के तकनीकी निदेशक, कोल इंडिया लिमिटेड के वित्त प्रबंधक, विधि अधिकारी , हर अनुषंगी कोयला कंपनियों के प्रतिनिधि शआमिल हैं. सीआइएल की अनुशांगिक कोयला कंपनियां छह राज्यों यथा – पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, व महाराष्ट्र में फैली हुयी है. हालांकि इसमें सभी राज्यों के रैयतों को लाभ होगा. वर्तमान में नये प्रोजेक्ट खोलने में जमीन संबंधी समस्या सबसे ज्यादा सामने आ रही है.
जमीन संबंधी समस्या के कारण इसीएल में कई प्रोजेक्ट खोलने में बाधाएं उत्पन्न हो रही है. हालांकि समस्या को दूर करने के लिये कंपनी प्रबंधन प्रयासरत है. ग्रामीणों के साथ बैठकें हो रही हैं. ग्रामीणों को आरएनआर पॉलिसी के बारे में समझाया जा रहा है. हालांकि कंपनी प्रबंधन का दावा है कि काफी हद तक समस्या का समाधान कर लिया गया है. अगर आरएनआर पॉलिसी में संशोधन किया गया तो नये प्रोजेक्ट लगाने में और भी सहुलियत होगी जिससे कंपनी का भी लाभ होगा और जमीन मालिकों का भी.

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