आसनसोल : आसनसोल 13 नंबर मोड़ के निकट कुछ समाजसेवियों एवं आरपीएफ के सहयोग से मुक्तांगन नामक एक संस्था 2005 से चलाई जा रही थी. इस संस्था में आसनसोल रेलवे स्टेशन एवं आसपास रहने वाले लावारिस बच्चों के लिए खाने-पीने, रहने, शिक्षा-दीक्षा से संबंधित व्यवस्था संस्था की ओर से की जाती थी.
स्टेशन इलाके से जो बच्चे बरामद होते थे, उनकी देखभाल संस्था द्वारा ही किया जाता था. लगभग दो महीने पहले आर्थिक समस्या की वजह से तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे चाइल्ड होम में हो रहे बच्चों के साथ शोषण को देखते हुए सरकारी निर्देशानुसार इस संस्था को बंद करने का फैसला लिया गया. मुक्तांगन में इलाके के कई सवाजसेवी आते और वहां कुछ पल इन बच्चों के बीच गुजारते थे.
कई लोग जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ भी इन बच्चों के साथ मनाते थे. अब मुक्तांगन की जगह आसनसोल स्टेशन के पांच नंबर प्लेटफार्म पर चाइल्ड हेल्प डेस्क शुरू होने जा रहा है. इसका उद्घाटन सात फरवरी को किया जायेगा. आसनसोल मंडल के रेलवे सुरक्षा आयुक्त चंद्र मोहन मिश्रा ने बताया कि मुक्तांगन एक अच्छी संस्था थी, जो लावारिस बच्चों की मदद करती थी. लेकिन सरकारी निर्देश के कारण इसे बंद कर दिया गया है.
श्री मिश्रा ने बताया की आसनसोल मंडल में सात चाइल्ड होम सेंटर का समय-समय पर निरीक्षण करते हैं. जिसमें आसनसोल में दो, दुर्गापुर में एक, बर्दवान में एक, जसीडीह, जामताड़ा तथा मधुपुर के चाइल्ड होम सेंटर का निरीक्षण करने के लिए समय-समय पर जाते रहते हैं.
उन्होंने बताया बीते साल 900 के करीब बच्चों का रेस्क्यू किया गया. जिनमें 800 से ज्यादा बच्चे को उनके मां-बाप के पास सुरक्षित भेज दिया गया. जिन बच्चों के मां-बाप का पता नहीं चल पाया जो बच्चे लावारिस पाए गए उन्हें विभिन्न सेंटरों में भेज दिया गया. उन्होंने बताया आसनसोल स्टेशन तथा आसपास के कुछ लावारिस बच्चों को समझा-बुझाकर उनके अच्छे भविष्य के लिए सेंटरों में भेजा गया.
अभी जो बच्चे आसनसोल स्टेशन के आसपास रह रहे हैं, उनके भोजन की व्यवस्था आरपीएफ तथा आसनसोल के समाजसेवियों के सहयोग से चलाए जा रहे हैं. बाबा बासुकीनाथ सेवा समिति द्वारा संचालित लंगर में भोजन करते हैं. मंडल सुरक्षा आयुक्त ने कहा कि कोई संस्था यदि बच्चों की सही तरीके से देखभाल करे तो उसे हम लाइसेंस दे सकते हैं.