चिकित्सक अराजकता के दौर की जल्द से जल्द चाहते हैं समाप्ति
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शिल्पांचल के चिकित्सकों ने कहा, नहीं होनी चाहिए थी हड़ताल
चिकित्सक अराजकता के दौर की जल्द से जल्द चाहते हैं समाप्ति मुख्यमंत्री पर टिकी सबकी निगाहें, चिकित्सकों ने मांगों को बताया जायज डॉक्टरों ने इस पर राजनीति नहीं करने को सही कहा दुर्गापुर : कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में दो जूनियर डॉक्टहरों की बेरहमी से पिटाई के बाद देश के कई राज्यों में बड़ी […]
मुख्यमंत्री पर टिकी सबकी निगाहें, चिकित्सकों ने मांगों को बताया जायज
डॉक्टरों ने इस पर राजनीति नहीं करने को सही कहा
दुर्गापुर : कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में दो जूनियर डॉक्टहरों की बेरहमी से पिटाई के बाद देश के कई राज्यों में बड़ी संख्या में डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. डॉक्टरों की हड़ताल से मुंबई, कोलकाता, नागपुर, पटना, हैदराबाद, वाराणसी समेत कई शहरों में चिकित्सा सेवाएं लगभग ठप पड़ी हैं.
यही नहीं घटना के विरोध में अब पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा देना शुरू कर दिया है. इस्तीफा देने वाली डॉक्टरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस बीच कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले में ममता सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उन्होंने डॉक्टरों से बातचीत कर मामला सुलझाने का प्रयास क्यों नहीं किया. इसके अलावा उच्च न्यायालय ने ममता से पूछा कि आखिर उनकी सरकार ने अब तक डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं. पश्चिम बंगाल सरकार को न्यायालय ने जवाब देने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया है.
हड़ताली डॉक्टर अस्पतालों में अपने लिए सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. हड़ताल को लेकर दुर्गापुर के आम लोगो के साथ चिकित्सकों को झकझोर कर रख दिया है. अधिकांश चिकित्सक राज्य में चल रहे इस अराजकता के दौर से जल्द समाप्ती चाह रहे है. उनका कहना है की मुख्यमंत्री जो स्वास्थ्य विभाग भी देखती है. उन्हे सहानभूति तरीके से इस समस्या का हल निकालने का प्रयास करना चाहिए. इस बाबत युवा चिकित्सक डा. अभिषेक बनर्जी का कहना है की आज जो भी कुछ हो रहा है वह सरासर गलत है. यह एक नोबेल पेशा है, चिकित्सको का काम मरीजों की जान की रक्षा करना है.
कोई भी चिकित्सक जानबुझ कर किसी भी मरीज की जान लेना नहीं चाहता है. ऐसे मे यदि किसी मरीज की मौत हो जाती है तो उसमे चिकित्सक को कुसुरवार नहीं ठहरना चाहिए. रोगी और चिकित्सक एक दूसरे पर भरोसा करने की जरूरत है. आज दोनों मे भरोसे की कमी देखी जा रही है. इस कारण दोनों के बीच संबंध खराब हो रहे हैं. पावर और मनी सभी जगह हावी हो रही है. इसके कारण टकराव की स्थिति पैदा हो रही है.
उनका मानना है की मुख्यमंत्री को जल्द से जल्द इस समस्या का निदान निकलना चाहिए. वही वरिष्ठ चिकित्सक डा. एस चटर्जी चिकित्सको के हड़ताल के विरुद्ध दिखे.उनका मानना है की हड़ताल नहीं होना चाहिए. हड़ताल होने से आम मरीजो को काफी परेशान होना पड़ा रहा है. कुछ को अपनी जान गवानी पड़ी है. इस समस्या के समाधान के लिए उन्होने कहा की सभी को अच्छा व्यवहार करना चाहिए.
रोगी और मरीज के अच्छे व्यवहार से इस प्रकार की घटना से बचा जा सकता है. आज-कल देखा जाता है की दोनों पक्ष के लोग एक दूसरे के साथ खराब व्यवहार करते है. इससे आपसी संबंध खराब होते हैं और नौबत मारपीट तक आ जाती है. उन्होने कहा की इस मामले मे राजनीति हो रही है जो बिलकुल भी नहीं होने चाहिए. उन्होने चिकित्सको को प्रबंधन पढ़ने की जरूरत पर बल दिया. उनका मानना है की प्रबंधन से चिकित्सक भी सभी प्रकर की स्थिति से निपटने मे कामयाब होंगे. वही डा. ए दत्ता का कहना है की इस मामले मे सरकारी तंत्र पूरी तरह से फेल हो चुका है.
राज्य के चिकित्सक अपने लिए थोड़ी सी सुरक्षा की जायज मांग कर रहे है. वह भी मुख्यमंत्री को दिया नहीं जा रहा है, इस मामले को पहले दिन ही सुलझा लेने की जरूरत थी लेकिन सरकार सही तरीके से हैंडल नहीं कर पा रही है. इसे लेकर राजनीति भी तेज हो गई जो गलत है. उनका मानना है की इस मामले को राजनीति से पूरी तरह से दूर रखने की जरूरत है. उन्होने कहा की राज्य के सरकारी अस्पतालों में वर्किंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की काफी कमी है. इन्हीं कमीयों के बीच जूनियर डाक्टर लोगों की सेवा में लगे है.
राज्य के अधिकांश सरकारी अस्पताल जूनियर डाक्टर के बदौलत टीका है. ऐसे मे यदि उनकी सुरक्षा पुख्ता नहीं हुई तो राज्य मे चिकित्सा सेवा चरमराने की नौबत आ सकती है. समय रहते इसका समाधान जरूरी है. डा. एसएन चक्रवर्ती का कहना है राज्य के चिकित्सक सुरक्षा की मांग को लेकर लड़ाई कर रहे है. वे उनके साथ है लेकिन देखना है कि इस लड़ाई में आम लोगो को परेशानी ना हो. वही इस लड़ाई को राजनीति रंग नहीं देने की कोशिश होने चाहिए. क्योंकि चिकित्सकों की अपनी जायज मांगो को लेकर लड़ाई है.
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