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पांडवेश्वर में बाबुल सुप्रियो के लिए मुश्किल होगा जितेंद्र, गौरांग के चक्रव्यूह को भेदना

संसदीय चुनाव में तीसरे स्थान पर, विधानसभा चुनाव में रेस से बाहर कोलियरी, ग्रामीण इलाके की संरचना में भाजपा का नहीं है मजबूत तंत्र बीएमएस की यूनियन खान श्रमिक कांग्रेस की उपस्थिति है नाममात्र की वाममोर्चा की सीटू, एटक यूनियनों का मजबूत प्रभाव है कोलियरी क्षेत्रों में भूमि पुत्र होने का सर्वाधिक लाभ मिलेगा गौरांग […]

संसदीय चुनाव में तीसरे स्थान पर, विधानसभा चुनाव में रेस से बाहर

कोलियरी, ग्रामीण इलाके की संरचना में भाजपा का नहीं है मजबूत तंत्र
बीएमएस की यूनियन खान श्रमिक कांग्रेस की उपस्थिति है नाममात्र की
वाममोर्चा की सीटू, एटक यूनियनों का मजबूत प्रभाव है कोलियरी क्षेत्रों में
भूमि पुत्र होने का सर्वाधिक लाभ मिलेगा गौरांग को इस विधानसभा क्षेत्र में
आसनसोल : आसनसोल संसदीय चुनाव के पांडेश्वर विधानसभा क्षेत्र में निवर्त्तमान सांसद सह भाजपा प्रत्याशी बाबुल सुप्रिय अपने चिर-परिचित प्रतिस्पर्धी मेयर सह स्थानीय विधायक जितेन्द्र तिवारी तथा वाममोर्चा के प्रत्याशी भूमि पुत्र गौरांग चटर्जी के चक्रब्यूह में घिरे हैं. वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में भी वे इस विधानसभा क्षेत्र में तीसरे स्थान पर थे.
तृणमूल प्रत्याशी दोला सेन ने उन पर 15 हजार से अधिक मतों के अंतर से तथा वाममोर्चा प्रत्याशी वंशगोपाल चौधरी ने उन पर साढ़े पांच हजार मतों की लीड ली थी. उस समय गौरांग चटर्जी पांडवेश्वर के विधायक थे तो इस समय श्री तिवारी विधायक हैं. श्री तिवारी का दावा है कि इस बार मतों का अंतर कम से कम 30 हजार होगा. जबकि स्थानीय होने के नाते श्री चटर्जी भी अपने मतों में इजाफा का दावा कर रहे हैं.
वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में 11,42,467 मतदाताओं ने मतदान किया था. इसमें भाजपा प्रार्थी श्री सुप्रिय को 4,19,983 मत, तृणमूल प्रार्थी दोला सेन को 3,49,503 मत, वाममोर्चा प्रार्थी श्री चौधरी को 2,55,829 तथा कांग्रेस प्रार्थी इंद्राणी मिश्रा को 48,502 मत मिले थे. पांडवेश्वर विधानसभा क्षेत्र में पड़े कुल 1,45,108 मतों में से श्री सुप्रिय को 38,810 मत, सुश्री सेन को 53,924 मत तथा श्री चौधरी को 44,217 मत मिले थे. विधानसभा क्षेत्र में कुल 237 बूतों में से भाजपा को मात्र 48 बूथों, वाममोर्चा को 78 बूथों पर तथा तृणमूल को कुल 111 बूथों पर बढ़त मिली थी. इनमें से बूथ संख्या 31, 68, 160 पर वाममोर्चा तथा तृणमूल को समान मत मिले थे, जबकि बूथ संख्या 198 पर भाजपा और तृणमूल को समान मत मिले थे.
पांडवेश्वर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को अपने प्रतिद्वंदी तृणमूल से 15 हजार मतों के अंतर से पिछड़ना पड़ा. जबकि वाममोर्चा प्रार्थी वंशगोपाल ने भी उनपर साढ़े पांच हजार मतों की लीड ली. इस विधानसभा क्षेत्र में मूलत: दो प्रखंड हैं. पांडवेश्वर तथा लाउदोहा. पांडवेश्वर में अधिसंख्य कोलियरी इलाके हैं तथा यहां हिंदीभाषी मतदाताओं की संख्या अच्छी स्थिति में हैं. जबकि लाउदोहा प्रखंड पूर्णत: ग्रामीण इलाका है. वाममोर्चा के जमाने में यह वामपंथियों का गढ़ रहा था तथा वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की आंधी के बाद भी इस विधानसभा क्षेत्र से माकपा प्रत्याशी के रूप में गौरांग चटर्जी ने जीत दर्ज की थी. वे पूर्णकालिक कर्मी है तथा पार्टी कार्यालय में ही रहते हैं. इस कारण उनकी पकड़ मजबूत हैं तथा कोयला श्रमिकों मं भी उनका प्रभाव अच्छा है. वे माकपा के जिला सचिव भी है.
वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में मुख्य टक्कर तृणमूल तथा वाममोर्चा के बीच हुई. तृणमूल ने आसनसोल के मेयर जितेन्द्र तिवारी को तथा माकपा ने निवर्त्तमान विधायक श्री चटर्जी को प्रत्याशी बनाया. भाजपा ने जितेन चटर्जी को प्रार्थी बनाया. इस चुनाव में संसदीय चुनाव से सात हजार अधिक मतदान हुआ. वर्ष 2014 के 1,45,108 मतदाताओं की तुलना में 1,52,403 मतदाताओं ने मतदान किया. सात हजार मतों की वृद्धि हुई.
लेकिन चुनाव परिणाम आने पर देखा गया कि भाजपा रेस से पूरी तरह बाहर थी तथा मुख्य संघर्ष तृणमूल और माकपा के बीच केंद्रित हो गया. तृणमूल के मतों में 15 हजार का इजाफा हुआ और उसे 68,600 (46 फीसदी) मत मिले. जबकि माकपा के मतों में करीब 19 हजार मतों का इजाफा हुआ तथा उसे 63,130 (42 फीसदी) मत मिले. भाजपा के मतों में 25,200 मतों की गिरावट आई और उसे मात्र 13,604 (नौ फीसदी) मत मिले.भाजपा के 25 हजार तथा बढ़ा मत तृणमूल और माकपा ने आपस में बांट लिया.
वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव में स्थित भाजपा के लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण हैं. पांच वर्षों में भाजपा प्रार्थी श्री सुप्रिय कम ही इस विधानसभा क्षेत्र में समय दे पाये हैं. दूसरी ओर उनके प्रतिस्पर्धी रहे श्री तिवारी ने विधायक बनने के बाद क्षेत्र में अपनी पूरी सक्रियता बनाये रखी है.
कोयला श्रमिकों के बीच केकेएससी (आइएनटीटीयूसी) तथा सीएमसी (एचएमएस) का समर्थन भी उन्हें मिला है. दूसरी और माकपा के जिला सचिव श्री चटर्जी इस क्षेत्र के भूमि पुत्र हैं. कोलियरी इलाकों में वाममोर्चा से जुड़ी सीपीआई की एटक तथा सीपीआई (एम) की सीटू का मजबूत प्रभाव है. यदि जितेन्द्र तिवारी तथा गौरांग चटर्जी विधानसभा चुनावों के परिणामों की पुनरावृत्ति कर पाते हैं तो भाजपा प्रार्थी श्री सुप्रिय के लिए इस चक्रव्यूह को भेदना काफी मुश्किल होगा.

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