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राज्य सरकार की ओर से प्रयोग के तौर पर सेब की खेती का प्रयास

बर्दवान : राज्य में कश्मीरी सेब की डिमांड रहने पर अधिक मूल्य से सामान्य लोगों को खरीदारी करना संभव नहीं है. इस दौरान राज्य सरकार ने यहां के मिट्टी में सेब की खेती करने का प्रयास किया है. सरकार की ओर से परीक्षा मूलक रुप से कटवा एक नंबर कृषि दफ्तर ने सेब की खेती […]

बर्दवान : राज्य में कश्मीरी सेब की डिमांड रहने पर अधिक मूल्य से सामान्य लोगों को खरीदारी करना संभव नहीं है. इस दौरान राज्य सरकार ने यहां के मिट्टी में सेब की खेती करने का प्रयास किया है. सरकार की ओर से परीक्षा मूलक रुप से कटवा एक नंबर कृषि दफ्तर ने सेब की खेती करने का काम शुरु हुआ.

आतमा योजना के तहत सेब की खेती सफल होने पर समूचे अनुमंढल में सेब की खेती करने का योजना है. कृषि अधिकारियों ने इलाके में किसानों को सेब खेती करने के लिए कृषि दफ्तर से सलाह देने का दावा किया. कटवा एक नंबर प्रखंड में श्रीखंड स्थित दफ्तर में ही पहली तौर पर सेब खेती शुरु किया गया.

इस दौरान दफ्तर के पीछे एक जगह को चयन किया गया. कटवा एक नंबर प्रखंड के क्रषि अधिकारी आजमीर मंडल ने बताया कि हमलोग दार्जिलिंग से गोल्डेन डरसेट और आन्ना प्रजाती के दो किस्म के सेब के पौधा लेकर यहां खेती किया. दोनों प्रजाती के सेब यहां के मौसम के लिए बेहतर है, उत्पादन भी अधिक होने का उम्मीद जतायी है. किसानों ने भी इस दोनों प्रजाति की खेती कर आय होने का दावा किया है. कृषि दफ्तर सूत्रों के मूताबिक दोनों प्रजाति के सेब के प्रति पौधा का मूल्य 800 रुपये हैं. एक बीघा जमीन में दोनों प्रजाति के लगभग 300 पौधा लगाये जायेंगे, इस दौरान 2.40 लाख रुपये खर्च होंगे. कृषि दफ्तर ने उम्मीद किया कि इस राज्य में सेब उत्पादन होने पर सेब का मूल्य काफी कम हो जायेगा. इसके अलावा किसानों ने सेब खेती करने पर मुनाफा संभव होगा.

कृषि दफ्तर के मुताबिक आतमा योजना के तहत सेब खेती करने के मामले में किसानों को सभी तरह की सहायता दी जायेगी. गौरतलब है कि इससे पहले आतमा योजना के तहत विशुद्ध मधु मिलने के दौरान इतालियन प्रजाती ‘एटीस मेलिफेरा’ मधुमखी प्रतिपालन शुरु किया.

कटवा के खाजुरडिहि पंचायत इलाके में 150 किसान तथा स्वनिर्भर गोष्ठी के महिलाओं को प्रशिक्षण देकर मधुमखी प्रतिपालन शुरु किया गया. इस बार सेव खेती करने का प्रयास पर किसानों का बड़ा हिस्सा काफी उत्साहित है. केतुग्राम के किसान ह्रदयगोपाल साहा, मंगलकोट के किसान निमाईचंद्र हाजरा आदि ने बताया कि हमारे जिले में इस तरह का सेब खेती बेहतर रुप से होने पर स्थानीय किसान काफी उत्साहित होंगे. प्रचलित धान या आलू खेती के बदले में वैकल्पिक खेती से किसानों भी मुनाफा होगा.

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