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आसनसोल : इंटक का संकट बढ़ायेगा पार्टी की मुश्किल, सोनिया गांधी, राहुल गांधी तक मामले को पहुंचाने की चल रही तैयारी

आसनसोल : कांग्रेस के हर मोर्चे पर कंधा सं कंधा मिलाकर चलने वाले देश के बड़े मजदूर संगठन इंटक में जारी विवाद को लेकर अब उसके माथे पर शिकन पड़ने लगे हैं. आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर इंटक के प्रभाव वाले क्षेत्रों में कांग्रेस की नजर एक-एक सीट पर गड़ी है. ऐसे में कांग्रेस की […]

आसनसोल : कांग्रेस के हर मोर्चे पर कंधा सं कंधा मिलाकर चलने वाले देश के बड़े मजदूर संगठन इंटक में जारी विवाद को लेकर अब उसके माथे पर शिकन पड़ने लगे हैं. आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर इंटक के प्रभाव वाले क्षेत्रों में कांग्रेस की नजर एक-एक सीट पर गड़ी है. ऐसे में कांग्रेस की प्राथमिकता हर हाल में इंटक की गुटबाजी से मुक्ति है.

संजीवा रेड्डी गुट ने भले ही उदयपुर सम्मेलन में प्रस्ताव लिया कि कार्यकारिणी के सभी सदस्य कांग्रेस के दस- दस सदस्य बनायेंगे. पर सिरदर्द एक गुट की पहल से कम होनेवाला नहीं.

वर्ष 2010 में भी सोनिया तक था मामला
इंटक में रेड्डी व राजेंद्र गुट के साथ इंटक नेता ददई दूबे के चल रहे विवाद का मामला वर्ष 2010 में भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तक गया था. सोनिया गांधी ने विवाद को सलटाने के लिए कांग्रेसी नेता ऑस्कर फर्नाडीस को तैनात किया था. इंटक के एक धड़े के नेताओं ने आधा दर्जन से ज्यादा बार आस्कर फर्नाडीस से मुलाकात कर तथ्यों से उन्हें अवगत कराया. उन्होंने कहा कि इंटक की सदस्यता एक करोड़ से 36 लाख पर आ गयी है. पर श्री फर्नाडीस इससे अप्रभावित रहे.
उलटे इंटक नेता डॉ संजीवा रेड्डी को कांग्रेसी कोटे से राज्यसभा का सदस्य मनोनीत कर दिया. बाद में सोनिया गांधी के हस्तक्षेप से तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने रेड्डी व दूबे गुट के विवाद को सलटाने का प्रयास किया. उस वक्त दूबे गुट ने अपने वर्चस्व वाले इलाकों में कमेटी गठित करने की मांग की. प्रणव मुखर्जी के सामने सभी ने विवाद सलटाने को हामी भरी, लेकिन अंदर ही अंदर आग सुलगती रही.
नतीजतन कोल इंडिया की जेबीसीसीआई-नौ में इंटक दूबे गुट के लिए मात्र दो सीट दी गयी. इसे दूबे गुट ने स्वीकार नहीं किया. इसके बाद से जंग और तेज हो गयी. अब तो सारा मामला कोर्ट में है और पूरे देश में इंटक की फजीहत हो रही है. कुछ माह पूर्व इंटक नेता राजेंद्र व ददई के बीच समझौते के आसार बढ़े भी लेकिन संजीवा रेड्डी ने इस मंसूबे पर पानी फेर दिया.
इधर इंटक रेड्डी व ददई गुट के बीच चल रहे विवाद को अगली सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में आगामी 15 अप्रैल तो सुनवाई होनी है. इसलिए हो सकता है राहुल व सोनिया के हस्तक्षेप से कोर्ट में सुनवाई से पूर्व इंटक नेता समझौता की अरजी दाखिल कर दे.
एक खेमा विवाद को लेकर गंभीर
यूपीए कार्यकाल में इंटक बहुल प्रदेशों को मिलाकर 50 से ज्यादा कांग्रेसी सांसद थे. अब वह संख्या आधा दर्ज रह गयी. इसलिए इंटक का मौजूदा संकट कांग्रेस की सेहत के लिए ठीक नहीं. गुटों में बंटे इंटक के सभी बड़े नेता सोनिया-राहुल को ही अपना नेता मानते है. ऐसे में अगर दस जनपथ ने विवाद में हस्तक्षेप किया तो मामला सलट सकता है.
दो साल पहले जब श्रम मंत्रालय, भारत सरकार ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय कमेटियों के साथ ही कोल इंडिया की किसी भी कमेटी में इंटक रेड्डी व राजेंद्र गुट को अलग कर दिया था. तभी से कांग्रेस का एक खेमा गंभीर था. ऐसे नेता इंटक विवाद की भीतरी सच्चाई को रिपोर्ट के रूप में पेश कर चुके है. अंदरखाने की मानें तो कुछ बड़े नेता पूरे मामले से सोनिया व राहुल को जल्द ही पुन: अवगत करायेंगे.
कांग्रेस नेतृत्व दरबार में जायेंगे कांग्रेसी
कई कांग्रेसी नेता इंटक के एक गुट के नेता डॉ जी संजीवा रेड्डी तथा राजेद्र सिंह के साथ ही एक अन्य गुट के नेता व पूर्व सांसद चंद्रशेखर दुबे व एनजी अरुण के साथ ही इंटक के तीसरी गुट के नेता केके तिवारी व पूर्व सांसद महाबली मिश्रा के अलावा इंटक के चौथे गुट के नेता डॉ अशोक चौधरी से भी संपर्क में है. इनका मानना है कि आखिर इंटक के सभी कांग्रेस है.
इसलिए विवाद क पटाक्षेप होना चाहिए. इंटक के एक बड़े नेता के अनुसार कांग्रेस के बड़े नेता शायद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी तक इसकी पूरी रिपोर्ट रखें.
झारखंड के गिरिडीह लोकसभा सीट की रोचक भिड़ंत
झारखंड में इंटक के दो दिग्गज नेताओं को कांग्रेस लोकसभा का चुनाव लड़ा सकती है. इंटक के एक धड़े के नेता पूर्व सांसद चंद्रशेखर दूबे उर्फ ददई दूबे की पैनी नजर धनबाद सीट पर है. धनबाद सीट से सूबे के पूर्व मंत्री व इंटक के दिग्गज नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह भी प्रत्याशी हो सकते है या फिर उन्हें गिरिडीह संसदीय सीट से लड़ाया जाये.

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