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सीआइएल के पास पांच सौ करोड़ बकाया
सांकतोड़िया : सेवानिवृत्त एवं स्थानांतरित होकर दूसरे कंपनी गये कोयला अधिकारियों को अब तक परफॉरमेंस रिलेटेड पे (पीआरपी) का भुगतान नहीं किया गया है. सीबीआइ, विजिलेंस तथा विभागीय जांच के दायरे में शामिल अधिकारियों के भी राशि भुगतान पर प्रबंधन ने रोक लगा दी है. एक आकलन के अनुसार दो हजार अधिकारियों की लगभग 500 […]
सांकतोड़िया : सेवानिवृत्त एवं स्थानांतरित होकर दूसरे कंपनी गये कोयला अधिकारियों को अब तक परफॉरमेंस रिलेटेड पे (पीआरपी) का भुगतान नहीं किया गया है. सीबीआइ, विजिलेंस तथा विभागीय जांच के दायरे में शामिल अधिकारियों के भी राशि भुगतान पर प्रबंधन ने रोक लगा दी है. एक आकलन के अनुसार दो हजार अधिकारियों की लगभग 500 करोड़ रुपये की राशि सीआइएल के पास जमा है, पर भुगतान पर अभी तक निर्णय नहीं लिया जा सका है.
एआइएओसीई के संयोजक पीके सिंह राठौर ने कहा कि ईसीएल सहित सीआइएल की विभिन्न अनुषांगिक कंपनियों में कार्यरत कोयला अधिकारियों के वेतनमान निर्धारण के वक्त पीआरपी भुगतान का भी निर्णय लिया गया था. बाद में विवाद की स्थिति उत्पन्न होने पर भुगतान रोक दिया गया था. विरोध प्रदर्शन एवं आंदोलन के बाद पीआरपी का भुगतान वित्तीय वर्ष 2014-15 तक किया गया. सेवानिवृत्त हो चुके तथा लंबे समय तक निलंबित रहने, सीबीआइ, विजिलेंस या विभागीय जांच के दायरे में फंसे कोयला अधिकारिरयों का भी भुगतान रोक दिया गया है.
दूसरी कंपनी में तबादला होकर गये अधिकारियों को मिला आंशिक भुगतान
सीबीआइ, विजिलेंस जांच में फंसे अधिकारियों के भुगतान पर भी लगी रोक
सेवानिवृत्त हो चुके कोयला अधिकारियों को झेलनी पड़ रही आर्थिक परेशानी
अधिकारियों के संगठन के स्तर से दबाव बनाये जाने पर सेवानिवृत्त अधिकारियों का भुगतान शुरू किया गया, पर अभी तक पांच फीसदी को भी राशि नहीं मिली. इसी तरह जिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय और विजिलेंस जांच पड़ताल हुई, उस वर्ष की राशि रोक कर रखी गई है. स्थानांतरित हुए कोयला अधिकारी को आधी राशि का भुगतान हो सका है. यानी जिस कंपनी में पहले कार्यरत थे, उक्त अवधि की राशि नहीं मिली. दूसरे कंपनी में योगदान के बाद की राशि का भुगतान कर दिया गया.
श्री राठौर ने दावा किया कि लगभग दो हजार कोयला अधिकारियों को इसका शिकार होना पड़ा है. पांच सौ करोड़ रुपये की राशि के भुगतान पर प्रबंधन ने रोक लगा रखी है. सबसे ज्यादा नुकसान सेवानिवृत्त अधिकारियों को हो रहा है. पेंशनर संघ ने प्रबंधन से पत्राचार कर भुगतान का प्रस्ताव रखा, पर प्रबंधन ने अब तक सकारात्मक पहल नहीं की है.
उन्होंने कहा कि कोयला अधिकारियों का वेतनमान एक जनवरी, 2007 से लागू किया गया था. सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत अधिकारियों का वेतनमान का निर्धारण डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज से निर्धारित किया जाता है. सभी सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत अधिकारियों को कंपनी के प्रॉफिट के मुताबिक पीआरपी दिया जाता है, पर सीआइएल की कंपनियों का प्रॉफिट अलग-अलग है.
इससे पीआरपी भुगतान में प्रबंधन को काफी परेशानी झेलनी पड़ी. इसमें संशोधन करते हुए सीआइएल स्तर पर प्रॉफिट के अनुसार पीआरपी दिया गया. गौरतलब है कि भुगतान को लेकर अफसरों के दबाव होने पर कोल इंडिया ने चार सदस्यीय एक कमेटी का गठन कर पीआरपी देने का फार्मूला एवं पेंशन स्कीम लागू करने की रिपोर्ट तैयार करने कहा था, ताकि सभी कोयला अधिकारियों को एक समान पीआरपी मिल सके.
सेवानिवृत्त सभी अधिकारियों का पीआरपी का भुगतान अभी तक लटका हुआ है. स्थानांतरण होकर दूसरे कंपनी में गये अधिकारियों की भी राशि पूरी नहीं मिल सकी है. इससे उन्हें नुकसान झेलना पड़ रहा है. विभागीय जांच के नाम पर राशि भुगतान रोकना प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है. संघ का प्रयास है कि पीआरपी का भुगतान सभी अधिकारियों को जल्द से जल्द कराया जाये.
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