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रानीगंज : रोगी के परिजनों ने कर्मियों को पीटा अस्पताल में लगी बालाजी की मूर्ति तोड़ी

इलाज में आये खर्च के भुगतान को लेकर अस्पताल में हंगामा मारपीट के आरोप में तीन को पुलिस ने लिया हिरासत में रानीगंज : रानीगंज के एक निजी अस्पताल में मरीज के परिजनों ने शुक्रवार की रात को जमकर हंगामा किया. चिकित्सा से असंतुष्ट परिजनों ने अस्पताल कर्मियों की पिटाई भी कर दी. पुलिस की […]

इलाज में आये खर्च के भुगतान को लेकर अस्पताल में हंगामा
मारपीट के आरोप में तीन को पुलिस ने लिया हिरासत में
रानीगंज : रानीगंज के एक निजी अस्पताल में मरीज के परिजनों ने शुक्रवार की रात को जमकर हंगामा किया. चिकित्सा से असंतुष्ट परिजनों ने अस्पताल कर्मियों की पिटाई भी कर दी. पुलिस की तत्परता से कर्मियों को बचाया गया. मारपीट करने वालों में तीन लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया जबकि एक फरार हैं.
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक परासिया कोलियरी की वयोवृद्ध महिला उर्मिला देवी को परिजनों ने चार दिन पहले अस्पताल में भर्ती किया था. परिजनों से स्थिति जानने के बाद चिकित्सकों ने वृद्धा की चिकित्सा शुरू कर कर दी.
शुक्रवार की रात परिजन वृद्धा को इलाज में आये खर्च का भुगतान किये बिना जबरन अस्पताल से ले जाने लगे. अस्पताल प्रबंधन ने भुगतान करने को कहा तो वे भड़क गये. वे रोगी को जबरन ले जाना चाह रहे थे. अस्पताल प्रबंधन ने साफ तौर पर कह दिया कि जब तक बिल का भुगतान नहीं किया जायेगा, वे मरीज को नहीं ले जा सकते हैं. भुगतान के बाद वे उसे अन्यत्र ले जाने के लिये स्वतंत्र है.
इसके बाद परिजन वहां से चले गये. शुक्रवार की रात एकाएक चार युवक अस्पताल में घुसे और मैनेजर, सुरक्षा गार्डों से हाथापाई शुरू कर दी. अस्पताल के अंदर बनी तिरुपति बालाजी जी की मूर्ति को भी नुकसान पहुंचाया. सूत्रों के मुताबिक सभी युवक नशे में धुत्त थे. मारपीट में अस्पताल के चार कर्मी गंभीर रूप से घायल हैं, उनकी चिकित्सा चल रही है. घटना की खबर मिलते ही पंजाबी मोड़ पुलिस अस्पताल पहुंची.
घटना से अस्पताल प्रबंधन से लेकर कार्यरत चिकित्सक आतंकित और हताश हैं. पुलिसिया हस्तक्षेप के बाद मारपीट करने वालों के परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सक एवं कर्मियों से सामूहिक माफी मांगी. परिजनों की ओर से वृद्धा के दामाद अजीत शर्मा ने लिखित माफी मांगते हुये कहा कि मालूम नहीं इन लोगों ने ऐसा क्यों किया जबकि चिकित्सक डॉक्टर दिव्येंदू दास काफी अनुभवी चिकित्सक हैं और भलीभांति सास की चिकित्सा कर रहे हैं.
घटना की खबर मिलते ही अस्पताल के संस्थापक अस्पताल पहुंचे और कहा कि वह किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई में नहीं जायेंगे क्योंकि यह चैरिटेबल अस्पताल है. कम से कम खर्च में हम चिकित्सा करते हैं. यह जनमानस का अस्पताल है.
प्रशासन जो भी कार्रवाई करना हो करे. उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल को ऐसी घटनाओं की वजह से बंद भी नहीं किया जायेगा लेकिन प्रशासन व समाजसेवी संस्थाओं को यहां के लोगों को इस अस्पताल के लिए सहयोग करना चाहिये. भविष्य में ऐसी घटना न हो, आपातकालीन समय में हम लोग चिकित्सा करने को बाध्य हैं. लेकिन इस प्रकार की घटना घटेगी तो हम लोगों का मनोबल घटेगा.

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