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यूथ तृणमूल जिलाध्यक्ष में बदलाव शीघ्र
आसनसोल : आगामी वर्ष 2019 में होनेवाले संसदीय चुनाव में आसनसोल संसदीय सीट पर जीत दर्ज करने के लिए सत्ताशीन तृणमूल कांग्रेस ने शतरंज की बिसात बिछानी शुरू कर दी है. इसके लिए पार्टी तथा पार्टी के जन संगठनों को चुस्त-दुरूस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इसके लिए बदलाव तथा चौंकानेवाले मनोनयन […]
आसनसोल : आगामी वर्ष 2019 में होनेवाले संसदीय चुनाव में आसनसोल संसदीय सीट पर जीत दर्ज करने के लिए सत्ताशीन तृणमूल कांग्रेस ने शतरंज की बिसात बिछानी शुरू कर दी है. इसके लिए पार्टी तथा पार्टी के जन संगठनों को चुस्त-दुरूस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इसके लिए बदलाव तथा चौंकानेवाले मनोनयन शुरू हो गये हैं.
श्रमिक संगठन आइएनटीटीयूसी के जिला चेयरमैन तथा जिला अध्यक्ष के मनोनयन के बाद यूथ तृणमूल कांग्रेस की जिलाध्यक्ष सह पार्षद बबीता दास के विकल्प की तैयारी शुरू हो गयी है. कभी भी इसकी आधिकारिक घोषणा होने की संभावना है. पार्टी ने आसनसोल तथा दार्जिलिंग संसदीय सीटों को हर हालत में जीतने का लक्ष्य बनाया है.
श्रमिक संगठन का बांटा दायित्व: संसदीय चुनाव की रणनीति के तहत ही आइएनटीटीयूसी के जिला पदाधिकारियों का मनोनयन किया गया. इसमें पार्टी जिलाध्यक्ष वी शिवदासन उर्फ दासू को चेयरमैन तथा दुर्गापुर के विधायक विश्वनाथ पाडियाल को अध्यक्ष बनाया गया है. दोनों नेताओं ने इस दायित्व को पूरी गंभीरता से निभाने की घोषणा भी की है. लेकिन जानकारों का दावा है कि जिलाध्यक्ष को चेयरमैन बनाये जाने के पीछे बड़ी रणनीति है तथा आनेवाले कुछ समय में इसका खुलासा संभव है. क्योंकि इस पद के रेस में पार्टी से जुड़े कई श्रमिक संगठनों के नेता रेस में शामिल थे.
विधायक विधान, मेयर परिषद सदस्य अभिजीत इसकी रेस में हैं शामिल
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार यूथ तृणमूल में भी शीघ्र बदलाव होगा. जिलाध्यक्ष सह पार्षद सुश्री बबीता को इस दायित्व से मुक्त किया जा सकता है. जिलाध्यक्ष के रेस में बाराबनी के विधायक विधान उपाध्याय तथा मेयर परिषद सदस्य (क्रीड़ा व संस्कृति) अभिजीत घटक शामिल है. इनके बीच से एक का फैसला होते ही इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी जायेगी. जिलाध्यक्ष के सहयोग के लिए दो कार्यकारी जिलाध्यक्ष मनोनीत किये जायेंगे. इनमें एक कुल्टी विधानसभा क्षेत्र से नगर निगम के पार्षद तथा दूसरे दुर्गापुर नगर निगम के बोरो चेयरमैन होंगे.
महिला समिति में होगा अभी इंतजार
सूत्रों के अनुसार पार्टी की महिला समिति में फिलहाल कोई बदलाव की संभावना नहीं है. लेकिन दुर्गापूजा के बाद राजनीतिक परिस्थिति के मूल्यांकन के बाद इस दिशा में अंतिम निर्णय लिया जा सकता है. अभी पार्टी नेतृत्व जन संगठनों को आम मतदाताओं के पास ले जाने की कई योजनाओं पर कार्य कर रहा है. इसके साथ ही पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष के मुद्दे पर निर्णय लेना है.
रद्द कर दी गयी शहर की रैली
आगामी 21 जुलाई को कोलकाता में होनेवाली शहीद रैली की तैयारी के लिए 30 जून को शहर में तृणमूल की महारैली होनेवाली थी. इसकी व्यापक स्तर पर तैयारियां चल रही थी. लेकिन चुनावी रणनीति के तहत ही आदिवासियों की नाराजगी को देखते हुए इसे अंतिम समय में स्थगित कर दिया गया. अब यह रैली आगामी दो जुलाई को निकलेगी. पार्टी नेतृत्व का मानना है कि इस दिन रैली निकालने से आदिवासियों में गलत संदेश जा सकता है. वैसे भी आदिवासी समुदाय में पार्टी की पकड़ अपेक्षा से काफी कम है. आदिवासियों की नाराजगी की संभावना के कारण अंतिम समय में इसे स्थगित करने का फरमान सुना दिया गया.
पार्टी के लिए प्रतिष्ठा की है बात
आसनसोल संसदीय सीट पर तृणमूल की कभी जीत नहीं हुयी है. वाममोर्चा शासन के जमाने में पार्टी ने हर संसदीय चुनाव में प्रत्याशी खड़े किये लेकिन किसी भी चुनाव में उसे जीत नहीं मिली है. वर्ष 2014 में पार्टी ने श्रमिक नेत्री दोला सेन को प्रत्याशी बनाया था. लेकिन उन्हें 70 हजार मतों के अंतर से हार मिली. पूरे राज्य में भाजपा ने आसनसोल सहित दो सीटों पर जीत दर्ज की. भाजपा ने आगामी संसदीय चुनाव में इसे 22 सीटों में बदलने का दावा किया है, जबकि तृणमूल नेतृत्व ने इन दोनों सीटों पर जीत दर्ज कर राज्य को भाजपा शून्य करने का दावा किया है. दार्जिलिंग में गोरखा नेताओं को भाजपा से अलग करने में पार्टी को सफलता मिल गयी है. अब आसनसोल में शतरंज की बिसात बिछायी जा रही है.
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