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‘दिल्ली’ के बजाय ‘पिल्ली’, ‘फारसी’ के बजाय ‘पारसी’

आदत से मजबूर. केएनयू का परीक्षा नियंत्रक विभाग लगा रहा बट्टा हिंदी माध्यम के कॉलेज संचालित करने के बाद भी परीक्षा में केएनयू को जो गंभीरता दिखायी जानी चाहिए थी, उसके उल्टे लापरवाही की जा रही है. कुलपति के प्रयास बेअसर हो रहे है. यूनिवर्सिटी की साख अलग से चौपट हो रही है. आसनसोल : […]

आदत से मजबूर. केएनयू का परीक्षा नियंत्रक विभाग लगा रहा बट्टा

हिंदी माध्यम के कॉलेज संचालित करने के बाद भी परीक्षा में केएनयू को जो गंभीरता दिखायी जानी चाहिए थी, उसके उल्टे लापरवाही की जा रही है. कुलपति के प्रयास बेअसर हो रहे है. यूनिवर्सिटी की साख अलग से चौपट हो रही है.
आसनसोल : काजी नजरूल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ साधन चक्रवर्ती के तमाम प्रयासों तथा दावों के बावजूद यूनिवर्सिटी का परीक्षा नियंत्रक विभाग सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. केएनयू के स्नातक स्तरीय प्रश्न पत्रों में लगातार हो रही त्रुटियों के कारण न सिर्फ विश्वविद्यालय के कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं बल्कि विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगने लगी है. इनसे स्टूडेंटसों के परीक्षा परिणाम प्रभावित होने के आसार हैं. अभिभावकों में भी नाराजगी देखी जा रही है. सनद रहे कि परीक्षा से जुड़ी विभिन्न गड़बड़ी सामने आने और परीक्षार्थियों के स्तर से हो रहे विरोध के बाद कुलपति डॉ ा चक्रवर्ती ने प्रश्नपत्रों में हो रही गलतियों को लेकर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में परीक्षा नियंत्रक विभाग एवं विभागीय अध्यापकों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ दो दिनों तक लगातार बैठक कर भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न होने देने के निर्देश दिये थे.
उन्होंने स्वीकार किया था कि इन घटनाओं से विश्वविद्यालय की छवि खराब हो रही है. इसके बावजूद स्नातक स्तरीय इतिहास तृतीय सेमेस्टर कोर पेपर पांच के प्रश्न पत्र एक के बी में ‘कुतुबमीनार’ के स्थान पर ‘कुतूब मिना’, ‘व्यवस्था’ के स्थान पर ‘व्यवस्ता’, प्रश्न दो के सी में ‘दिल्ली’ के स्थान पर ‘पिल्ली’, प्रश्न तीन के डी में ‘बाहमनी’ के स्थान पर ‘बाहमाना’, प्रश्न चार के सी में ‘उपलब्धि’ के स्थान पर ‘उप्ब्ब्धि’ छापा गया था. इतिहास कोर पेपर छह में ‘मेगीयार’ के स्थान पर ‘माग यार’, प्रश्न तीन के सी में ‘ओटटो प्रथम’ के स्थान पर ‘ऑटो प्रथम’, प्रश्न तीन के एक में ‘वाईन’ के स्थान पर ‘वईन’ छापा गया था. कोर पेपर सात के प्रश्न में प्रश्न एक के ए में ‘मैमूर वंश’ के स्थान पर ‘तिमुरीडस’, प्रश्न एक के बी में ‘फारसी’ के स्थान पर ‘पारसी’, ‘ऐतिहासिक ग्रंथ’ के स्थान पर ’ऐतिहासिक पाठ’ छापा गया था. प्रश्न एक के इ में ‘अकबर’ के स्थान पर ‘अकब’, ‘संभ्रांत’ के स्थान पर ‘अभिजात’, प्रश्न तीन के ए में ‘आत्मजीवनी’ के स्थान पर ‘बायोग्राफी’ छापा गया था. पोलिटिकल साइंस के कोर पेपर छह में दृष्टिकोण निर्धारित करें को पूरी तरह गलत ढंग से छापे जाने से प्रश्न का अर्थ बदल जाने से प्रश्न न समझ पाने के कारण परीक्षार्थी प्रश्न को छेाड देने को विवश हुए थे. हिंदी शिफ्ट के परीक्षार्थियों ने बताया कि हिंदी शिफ्ट के प्रश्न पत्रों में लगातार हो रही त्रुटियों के कारण उनका आत्मबल डगमगा रहा है. गलत प्रश्न छापे जाने और गलत ढंग से अनुवाद किये जाने से प्रश्न का पूरा मतलब ही बदल जाने से परीक्षार्थी प्रश्नों के उत्तर जानने के बावजूद भी उन प्रश्नों को छोडने को विवश हो रहे हैं. जिससे उनका परीक्षा परिणाम और प्रदर्शन प्रभावित होंगे. उन्होंने बताया कि गलत प्रश्न पत्र छापना एक बार का मामला नहीं है यह लगातार और सिलसिलेवार क्रम से हो रहा है. अंग्रेजी से हिंदी में प्रश्नों के अनुवाद भी सही ढंग से न होने के कारण प्रश्नों के अर्थ बदल जा रहे हैं. इतिहास के प्रश्न में ‘सिविल वार’ का अनुवाद ‘गृह युद्ध’ न होकर ‘नागरिक युद्ध’ छाप दिये जाने से हिंदी शिफ्ट के अधिकांश परीक्षार्थी इस प्रश्न को छोड़ने को विवश हुए थे. उन्होंने कहाकि उनके संबंधित सिलेबस में नागरिक युद्ध है ही नहीं, फिर प्रश्न कैसे छाप दिया गया? प्रश्नों में होने वाले त्रुटियों के लिए परीक्षार्थियों को अलग से अतिरिक्त समय न दिये जाने से भी उनकी परेशानी बढ़ी है. अगर यही स्थिति रही तो केएनयू परीक्षा नियंत्रक विभाग के विरोध आंदोलन किया जायेगा.

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