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कमीश्नर साहब ! करें खुलासा, कौन वसूल रहा व्यवसायियों से रंगदारी

उठते सवाल. व्यवसायी से रंगदारी वसूली के मामले में हुए समझौते से उठ रहे कई सवाल आसनसोल बाजार में व्यवसायियों के घर जाकर, उन्हें धमका कर लाखों -लाख की वसूली करने के खुलासे ने जिला सह पुलिस कमीश्नरेट मुख्यालय की विधि-व्यवस्था को ही कटघरे में ला खड़ा किया है. मुख्यालय में यह हाल है तो […]

उठते सवाल. व्यवसायी से रंगदारी वसूली के मामले में हुए समझौते से उठ रहे कई सवाल

आसनसोल बाजार में व्यवसायियों के घर जाकर, उन्हें धमका कर लाखों -लाख की वसूली करने के खुलासे ने जिला सह पुलिस कमीश्नरेट मुख्यालय की विधि-व्यवस्था को ही कटघरे में ला खड़ा किया है. मुख्यालय में यह हाल है तो दूरस्थ इलाके की सिर्फ कल्पना की जा सकती है.
आसनसोल : पुलिस कमीश्नरेट इलाके से रंगदारी समाप्त करने के पुलिस आयुक्त लक्ष्मी नारायण मीणा के अभियान को चुनौती देते हुए आसनसोल बाजार के व्यवसायियों से पुलिस के नाम पर रंगदारी वसूलने की कई शिकायतें सामने आ रही है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि इस वसूली में सीधे पुलिस अधिकारी या कर्मी शामिल हैं
या फर्जी पुलिस अधिकारी बन कर राजनीतिक संरक्षण में पल रहे कुछ गुर्गे लाखों की वसूली कर रहे हैं. लेकिन सच यह है कि इसमें पुलिस की छवि धूमिल हो रही है. सोमवार को आसनसोल बाजार में इस खुलासे तो जिस तरह से रफा-दफा किया गया, उससे इस गुर्गो के राजनीतिक संरक्षण की और अधिक पुष्टि ही हुयी. इस मामले में पुलिस आयुक्त श्री मीणा की भूमिका ही निर्णायक होगी.
क्या है मामला
रविवार की रात खुद को आसनसोल साउथ थाना का पुलिस अधिकारी बता कुछ युवक अखंड ज्योति पूजा घी में मिलावट की जांच के नाम पर व्यवसायी ओमप्रकाश साव के घर चले गये. उन्हें काफी धमकाया गया. दो लाख रूपये की मांग की गयी. इतनी राशि देने में असमर्थता जताने पर पड़ोसी मनोज शर्मा को मध्यस्थता के लिए बुलाया गया. एक लाख रूपये में बात बन गयी तथा श्री साव ने इस राशि का भुगतान कर अपनी जान बचा ली. व्यवसायियों की माने तो यह पहली घटना नहीं थी, जब व्यवसायियों को हड़का कर वसूली की गयी हो. सुबह जब इसकी जानकारी व्यवसायियों को मिली तो उनका आक्रोश बाहर आ गया तथा मनोज को बंधक बना राशि की मांग की गयी. बीच-बचाव करने आये उनके बड़े भाई के साथ मारपीट भी हुयी.
स्थानीय पार्षद पीड़ित ओमप्रकाश तथा मनोज के बड़े भाई को लेकर साउथ थाना गयी. वहां राशि वापसी पर सहमति बनी. मनोज को मुक्तकिया गया. देर शाम राशि की वापसी हुयी तथा ओमप्रकाश ने पुलिस को लिखित दियाकि मनोज से उनके पारिवारिक व व्यवसायिक रिश्ते हैं. मामूली विवाद था. वह समाप्त हो गया, उनकी कोई शिकायत नहीं है. मामला समाप्त हो गया.
आसनसोल बाजार के दर्जनों व्यवसायी बन चुके हैं इसके शिकार
पहली बार सामने आये जनाक्रोश पर भी नहीं हो सकी कोई कार्रवाई
इस परिस्थिति में आम व्यवसायी कैसे कर पायेंगे व्यवसाय शहर में
दो दिन बाद जांच पर पुलिस करेगी एफआइआर
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (सेंट्रल) जे मर्सी ने कहा कि आसनसोल साऊथ थाना में सोमवार को आसनसोल बाजार इलाके में हुई घटना को लेकर कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है. बावजूद पुलिस अपने स्तर से मामले की जांच कर रही है. दो दिनों में व्यवसायियों के स्तर से यदि कोई शिकायत नहीं आती है तो पुलिस मामले में जांच रिपोर्ट के आधार पर स्वयं एफआईआर दर्ज करेगी. उसके बाद आवश्यक कदम उठाये जायेंगे .
समझौता पत्र में क्या है लिखा
हिंदी में श्री साव के हस्ताक्षर किए हुए अंग्रेजी पत्न में श्री साव ने लिखा कि मनोज शर्मा के साथ उनका दोस्ताना और पारिवारिक संपर्क के साथ कुछ व्यवसायिक संबंध भी है. रविवार रात और सोमवार की सुबह व्यवसाय के मुद्दे पर कुछ आपसी विवाद हो गया था. जो स्थानीय पार्षद ऊमा सर्राफ की मध्यस्थता से मैत्नी पूर्ण तरीके से सुलझा लिया गया है. पुन: इस मामले को लेकर कोई समस्या नहीं होगी. किसी व्यक्ति के खिलाफ इस मुद्दे पर उनकी कोई शिकायत नहीं है. यह पत्न उन्होंने साउथ थाना के प्रभारी के नाम लिखा है.
उठ रहे कई गंभीर सवाल
पूरे मामले में आक्रोश जतानेवाले तथा जन दबाब बना राशि वापसी में निर्णायक बने व्यवसायी हताश तथा सहमे हुए हैं. नाम न बताने की शर्त्त पर उनका कहना है कि पुलिस के वरीय अधिकारियों व राजनेताओं को आंख खोलने के लिए इससे बड़ा साक्ष्य क्या होगा? ओमप्रकाश से किसने रात में राशि ली? मनोज के बड़े भाई ने बड़ी राशि की वापसी क्यों की? थाने में रंगदारी के मामले की मध्यस्थता कैसे हुयी? वसूली में पुलिस अधिकारी के होने की बात के बाद भी क्यों पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया? क्यों व्यवसायियों से उनकी शिकायतों के बारे में जानकारी नहीं ली गयी? क्यों हर स्तर पर चुप्पी बनी हुयी है? ये सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह पहली घटना नहीं है. इसके पहले दर्जनों घटनाएं हो चुकी है. सब खेल पुलिस के नाम पर चल रहा है. यह स्थिति स्पष्ट तो होनी ही चाहिए कि क्या पुलिस अधिकारी इसमें शामिल हैं या पुलिस को बदनाम करने के लिए यह खेल चल रहा है? इसका भी जबाब मिलना चाहिए कि व्यवसायियों को उनके घर जाकर धमकाने, वसूली करने की घटनाओं को खुली छूट देकर कैसा माहौल जिला मुख्यालय तथा पुलिस कमीश्नरेट मुख्यालय में बनाना चाहते हैं?
पुलिस -प्रशासन दोषियों को करें दंडित, व्यवसायियों को मिले सुरक्षा
पुलिस के नाम पर हड़का कर व्यवसायियों से अवैध वसूली करनेवालों के खिलाफ व्यवसायियों में गहरा आक्रोश है.
आसनसोल चेंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यकारी सदस्य सह आसनसोल मर्चेट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष श्यामलाल केडीया ने कहा कि जिला मुख्यालय में ऐसी घटनाओं का होना दु:खद है. पुलिस के नाम पर व्यवसायी से वसूली करने वालों को सजा मिलनी चाहिए. इन घटनाओं से व्यवसाइयों में भय के साथ आक्रोश भी है. आसनसोल चैंबर ऑफ कॉमर्स के संयुक्त कोषाध्यक्ष राजू सिंह ने कहा कि इन घटनाओं से व्यवसायियों में आक्रोश है. इसका चौतरफा विरोध होना चाहिए. व्यवसायी व्यवसाय के साथ सामाजिक कार्य भी करते हैं. पुलिस भी सामाजिक कार्य करती हैं. पुलिस के नाम पर व्यवसायी को डरा धमका कर रूपये वसूलना कानूनन अपराध है. पुलिस कमिश्नरेट को मामले की तह तक जाकर जांच करनी चाहिए. आसनसोल के व्यवसायियों को ऐसी घटनाओं से सतर्क रहना चाहिए. मुंशी बाजार के व्यवसायी जगदीश शर्मा ने कहा कि यह घटना पुलिस व प्रशासन के लिए शर्मनाक है. इन घटनाओं से व्यवसायियों में असुरक्षा का भाव पैदा हुआ है. घटना में शामिल लोगों पर कार्रवाई की जाये. ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो पुलिस प्रशासन सुनिश्चित करे और व्यवसायियों को सुरक्षा दे. मुंशी बाजार के व्यवसायी अविनाश वर्मा ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से आसनसोल के व्यवसायी दहशत में हैं. पुलिस प्रशासन और राजनीतिक पार्टी के नाम पर व्यवसायी को डराने धमकाने वालों पर कार्रवाई की जाये. आगे ऐसी घटना न हो प्रशासन को ध्यान रखना चाहिए. आसनसोल फिश मर्चेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव मोहम्मद इलियास ने कहा कि बाजार में व्यवसायियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है. पुलिस प्रशासन के रहते डकैती, छिनतई की घटनाएं हो रही हैं. पुलिस को इन घटनाओं पर लगाम लगानी चाहिए. कमिश्नरेट के स्तर से आसनसोल बाजार में सीसीटीवी कैमरे और सादे लिबास में पुलिस तैनात कर आपराधिक घटनाओं की साजिश रचनेवालों पर नजर रखनी चाहिए. आसनसोल बाजार के निवासी अतनु नाग ने कहा कि मनोज शर्मा ने उनसे उनके पारिवारिक विवाद के सुलह के लिए 50 हजार रूपये मांगे थे. उन्होंने कहा अगले साल उन्होंने अपने पसंद से प्रेम विवाह किया था. परंतु उसके घरवाले लडकी को स्विकार नहीं कर रहे थे. पत्नी को छोड़ दूसरी शादी कराने का दबाव बनाया जा रहा था. घरवाले दहेज के लिए उनकी पत्नी को प्रताडित कर रहे थे. पारिवारिक विवाद को निबटाने के लिए मनोज ने रूपयों की मांग की थी. न दिये जाने पर जान से मारने की धमकी देने पर उसके खिलाफ पुलिस आयुक्त और आसनसोल महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. पीडित ओम प्रकाश साव ने कहा कि उनके साथ जो हुआ, वह दूसरे किसी के साथ न हो. दूसरे व्यवसायियों को इन मामलों में सतर्कता बरतनी चाहिए.

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