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इंटक ने वापस ली त्रिदिवसीय हड़ताल

तीन नवंबर को कोलकाता में होगी श्रमायुक्त के साथ यूनियन की बैठक नौ, 10, 11 नवंबर को संसद भवन का होगा घेराव संयुक्त रूप से आसनसोल. कोल इंडिया में दसवें राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौते के खिलाफ इंटक की छह नवंबर से प्रस्तावित त्रिदिवसीय हड़ताल को इंटक नेतृत्व ने वापस ले लिया है. यह निर्णय राष्ट्रीय […]

तीन नवंबर को कोलकाता में होगी श्रमायुक्त के साथ यूनियन की बैठक

नौ, 10, 11 नवंबर को संसद भवन का होगा घेराव संयुक्त रूप से

आसनसोल. कोल इंडिया में दसवें राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौते के खिलाफ इंटक की छह नवंबर से प्रस्तावित त्रिदिवसीय हड़ताल को इंटक नेतृत्व ने वापस ले लिया है. यह निर्णय राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन (इंटक) की बैठक में लिया गया. अध्यक्षता फेडरेशन अध्यक्ष सह पूर्व मंत्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने की.

फेडरेशन के महामंत्री एसक्यू जामा ने कहा कि कोल इंडिया के कर्मियों के लिए बीते 10 अक्तूबर को 10वां राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता हुआ. यह पूरी तरह से मजदूर विरोधी है.

इसके विरोध में फेडरेशन ने निर्णय लिया था कि आगामी छह नवंबर से आठ नवंबर तक कोल इंडिया तथा इसकी सभी अंगीभूत कोयला कंपनियों में हड़ताल की जायेगी. तभी भारत सरकार के मुख्य श्रमायुक्त के आदेश पर डिप्टी चीफ कमीश्नर (कोलकाता) ने पत्र देकर आगामी तीन नवंबर को फेडरेशन को वार्ता के लिए बुलाया है. इसके कारण फिलहाल हड़ताल को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है.

उन्होने कहा कि केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ संसद भवन का घेराव आगामी नौ, दस व 11 नवंबर को किया जायेगा. उन्होंने कहा कि बैठक में निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीयकरण की अध्येता इंदिरा गांधी के शहादत दिवस 31 अक्तूबर से लेकर तीन नवंबर तक कोल इंडिया की सभी इकाइयों में मजदूर प्रदर्शन करेंगे.

केंद्र सरकार कोयला उद्योग को पूरी तरह से बंद कर आउटसोर्सिग के माध्यम से मजदूरों का शोषण करना चाहती है. 10वां वेतन समझौता पूरी तरह से मजदूर विरोधी है. सरकार कोल ब्लॉक को प्राइवेट सेक्टर को देना चाहती है. जिसे कभी सफल नहीं होने दिया जायेगा.

कर्मियों से कंपनी के कामकाज का आकलन

कोल इंडिया अपने कर्मियों से ही कामकाज का आकलन करा रहा है. कामकाज में यहां लिये जाने वाले निर्णयों के बारे में भी कर्मियों से जानकारी मांगी गयी है. किस कंपनी का कामकाज बेहतर है, यह भी फीड बैक फॉर्म में भरने को कहा गया है.

कुल 15 सवाल कर्मियों से किये गये हैं. जिनका जवाब कर्मियों को ऑनलाइन देना है. सभी कंपनियों को इसका फॉरमेट भेजा गया है. कर्मियों से पहले सवाल में यह जाना गया है कि कंपनी के स्तर से जो भी गाइड लाइन, सकरुलर या दिशा-निर्देश जारी होते हैं, उससे क्या निष्पक्ष होने के संकेत मिलते हैं? दूसरे सवाल में पूछा गया है कि क्या कंपनी अपने निर्देशों का पालन कराने में कड़ाई बरतती है? क्या कोल इंडिया की संस्कृति पारदर्शिता, भ्रष्टाचारमुक्त, उद्देश्यपूर्ण और जवाबदेहपूर्ण है?

कंपनी यह भी जानना चाहती है कि क्या कर्मी कोल इंडिया द्वारा तय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उत्साहित रहते हैं? यह भी जानने की कोशिश की गयी है कि क्या कंपनी की शिकायत निवारण प्रणाली पारदर्शी, निष्पक्ष और न्यायसंगत है? इस तरह के सवालों के लिए कर्मियों को पांच-पांच ऑप्शन दिये गये हैं. इससे पूर्ण सहमत होने से लेकर पूर्ण रूप से असहमत होने कर का ऑप्शन है.

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