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अब बोनस बना कोयला कर्मियों के बीच बहस का विषय

बोनस के सवाल पर पहले ही हो चुकी है एेतिहासिक हड़ताल गत वर्ष सीआइएल में मिला था सर्वाधिक 54 हजार रुपये बोनस आसनसोल. कोल कर्मियों के वेज बोर्ड -10 पर फिलहाल ग्रहण लगने के बाद अब कोयला कर्मियों के बीच सलाना बोनस को लेकर बहस शुरू हो गयी है. कोल इंडिया प्रबंधन ने दुर्गापूजा पर […]

बोनस के सवाल पर पहले ही हो चुकी है एेतिहासिक हड़ताल
गत वर्ष सीआइएल में मिला था सर्वाधिक 54 हजार रुपये बोनस
आसनसोल. कोल कर्मियों के वेज बोर्ड -10 पर फिलहाल ग्रहण लगने के बाद अब कोयला कर्मियों के बीच सलाना बोनस को लेकर बहस शुरू हो गयी है.
कोल इंडिया प्रबंधन ने दुर्गापूजा पर कोयला कामगारों का बोनस तय करने के लिए आगामी 19 सितंबर को ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों की बैठक बुलायी है. सनद रहे कि इस बार 21 सितंबर से ही नवरात्र शुरू है तथा सितंबर माह में ही पूजा भी समाप्त हो जायेगी. गत वर्ष मजदूरों को सर्वाधिक सलाना बोनस 54 हजार रूपये मिला था. इस बार उन्हें 60-65 हजार रूपये बोनस मिलने की उम्मीद है. कोलियरियों, हाजिरीघर, ऑफिस धौड़ों, चौक-चौराहों में बस इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है.
वेजबोर्ड में पस्त लोगों से बोनस की आस
मालूम हो कि गत कई वर्षो से कोयला कर्मियों को दुर्गापूजा से दस दिन पहले ही बोनस मिलता रहा है. इंटक के राजेन्द्र प्रसाद सिंह गुट तथा चन्द्रशेखर दूबे उर्फ ददई दूबे गुट के विवाद के कारण गत वर्ष बोनस मिलने में काफी विलंब हउअ था. वोजबोर्ड -दस को लेकर कोल इंडिया प्रबंधन के साथ रस्साकशी कर रहे मजदूर संगठनों के नेता इस बार कितना बोनस दिला पाते हैं, यह तो वक्त ही बतायेगा. पर गत वर्ष की अपेक्षा उचिक बेनस की राशि मिल गयी तो वे संतुष्ट हो जायेंगे.
गत वर्ष की बैठक में शामिल थी इंटक
गत वर्ष इंटक के किसी भी गुट को बोनस की बैठक में आमंत्रित नहीं किये जाने पर चारों श्रमिक संगठनों – एटक, बीएमएस, सीटू व एचएमएस ने इंटक के राजेन्द्र गुट को बैठक में बुलाने के लिए प्रबंधन पर दबाव बनाया थआ. यह दबाव काम आया और अंतिम समय में प्रबंधन ने इंटक के राजेन्द्र गुट को बोनस की बैठक में आमंत्रित किया था.
बाद में ददई गुट ने प्रबंधन के इस रूख पर आपत्ति करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर कर दी थी.इस बार भी बोनस को लेकर होनेवाली बैठक में इंटक प्रतिनिधि शामिल नहीं हो पायेंगे. जानकारी के अनुसार इस याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन स्वरूप इंटक के किसी भी गुट को बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है. कोर्ट में लंबित मामले पर फऐसला आने तक कोल इंडिया की किसी भी बैठक में इंटक के शामिल न करने का अंतरिम आदेश है.
वर्ष 2010-11 में हुयी थी हड़ताल
वर्ष 2010-11 में कोयला मजदूरों ने सलाना बोनस के सवाल पर कोल इंडिया में ऐतिहासिक हड़तालकी थी. बोनस (एक्सग्रेसिया) को लेकर वर्ष 2011 के अक्तूबर माह में गुड़गांव में कोल इंडिया प्रबंधन के साथ पांचों श्रमिक संगठनों की वार्ता हुयी थी.
मजदूर संगठनों ने 25 हजार रूपये बोनस की मांग की थी. इसके पूर्व के वर्ष 2009-10 में कोयला मजदूरों को 15 हजार रूपये बोनस मिला था. इस बार संगठनों ने न्यूनतम 22,500 रूपये बोनस की मांग की. काफी दबाव पर प्रबंधन ने 16 हजार रूपये बोनस की घोषणा की. अंतत: प्रबंधन ने एलान कर दिया कि बतौर बोनस कर्मियों के बैंक खाते में 17 हजार रूपये भेज दिये जायेंगे.
पूजा से पहले मजदूरों के बैंक खाते में उक्त राशि आ भी गयी. संगठनों ने इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बना कर 10 अक्तूबर को एक दिन की हड़ताल कर दी. इसके बाद पुन: प्रबंधन ने पांचों मजदूर संगठनों के साथ वार्ता की तथा 17 हजार के बाद तीन हजार रूपये के साथ ही एक हजार रूपये बतौर दीपावली गिफ्ट देने की घोषणा की. यानी इस वर्ष 21 हजार रूपये बोनस के रूप में मिले थे.
कभी दो भागों में मिलता था बोनस
जब कोल इंडिया बीआइएफआर में चल रही थी, उस वक्त कोयला मजदूरों को बोनस में मात्र 50-50 रूपये की वृद्धि होती थी. 60 फीसदी राशि दुर्गापूजा में तथा 40 फीसदी राशि काली पूजा में मिलती थी.
बीआइएफआर से निकलने के बाद तथा कोल इंडिया के प्रोफिट में आने के बाद मजदूरों को सम्मान जनक बोनस मिलने लगा. इससे श्रमिक काफी खुश रहने लगे . वर्ष 1995 के पूर्व तक कर्मियों को दुर्गापूजा के मौके पर न्यूनतम बोनस एक्ट के तहत सलाना बोनस (एक्सग्रेसिया) के रूप में 8.33 फीसदी राशि मिलती थी.
कब कितने रुपये का हुआ भुगतान
वर्ष 2003 – 3300 रूपये
वर्ष 2004 – 3490 रूपये
वर्ष 2005 – 3600 रूपये
वर्ष 2006 – 5550 रूपये
वर्ष 2007 – 6000 रूपये
वर्ष 2008 – 8300 रूपये
वर्ष 2009 – 10,000 रूपये
वर्ष 2010 – 17,000 रूपये
वर्ष 2011 – 21,000 रूपये
वर्ष 2012 – 26,000 रूपये
वर्ष 2013 – 31,500 रूपये
वर्ष 2014 – 40,500 रूपये
वर्ष 2015 – 48,500 रूपये
वर्ष 2016 – 54,000 रूपये

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