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पत्थर खदान संचालक का पुत्र तीन दिन की रिमांड पर

कार्रवाई : जिला प्रशासन की छापेमारी के बाद पत्थर खदान मामले में बाराबनी पुलिस रेस आसनसोल/रूपनारायणपुर : बाराबनी प्रखण्ड के कांसकुली मौजा के कांसकुली इलाके में बुधवार को दो अबैध पत्थर खदानों में हुई छापामारी में गिरफ्तार निघा निवासी व खदान संचालक नंदकिशोर शर्मा के गिरफ्तार पुत्न दीपक शर्मा को बाराबनी थाना पुलिस ने गुरुवार […]

कार्रवाई : जिला प्रशासन की छापेमारी के बाद पत्थर खदान मामले में बाराबनी पुलिस रेस
आसनसोल/रूपनारायणपुर : बाराबनी प्रखण्ड के कांसकुली मौजा के कांसकुली इलाके में बुधवार को दो अबैध पत्थर खदानों में हुई छापामारी में गिरफ्तार निघा निवासी व खदान संचालक नंदकिशोर शर्मा के गिरफ्तार पुत्न दीपक शर्मा को बाराबनी थाना पुलिस ने गुरुवार को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) रतन गुप्ता के समक्ष पेश किया तथा पांच दिनों की पुलिस रिमांड की मांग की. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद एसीजेएम श्री गुप्ता ने तीन दिनों की पुलिस रिमांड मंजूर की. इस मामले में बाराबनी के बीएलएंडएलआरओ रूद्ररूप भट्टाचार्या ने प्राथमिकी दर्ज करायी है. इस मामले में भारी मात्र में जब्त विस्पोटक सामग्री पर पुलिस अधिकारियों ने जांच केंद्रित किया है.
क्या है पूरा मामला
महकमा शासक सह अतिरिक्त जिलाशासक (जनरल) प्रलय रायचौधरी ने डिप्टी मजिस्ट्रेट सोमनाथ दत्ता और बाराबनी के बीडीओ डॉ अनिमेष कांति मन्ना के साथ कांसकुली इलाके में संचालित दो अबैध पत्थर खदानों में बुधवार को छापेमारी की. छापेमारी के बाद खदान में अफरा-तफरी मच गयी. इसके बाद अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस को बुलाया. खदान संचालक नंदकिशोर शर्मा खदान से भागने में सफल रहा. हालांकि उसका पुत्न दीपक मौके से गिरफ्तार किया गया.
पुलिस ने घटनास्थल से सात नंबर वाले डंपर, एक बिना नंबर का डंपर, पत्थरों से लदा एक ट्रेक्टर, जेनरेटर लदा एक ट्रेक्टर, एक अर्थ हेम्रिंग मशीन, एक ड्रील मशीन, एक अर्थ मूविंग मशीन, डब्ल्यूबी-44बी-6457 नंबर की स्वीफ्ट कार तथा एक जेनरेटर जब्त किया गया.
इसके साथ ही ब्लैक डायमंड एक्सप्लोसिव प्रा. लि. (बाराबनी) निर्मित तीन पॉकेट स्टार ब्रांड एक्सपेलोसिव, एसबीएल इनर्जी लिमिटेड (कोटल, नागपुर) निर्मित 165 पॉकेट नियोजेल-901 तथा 16 पॉकेट सुपर अल्यूमिनियम इंस्टोनटेनिअस इलेक्ट्रिक डिटोनेटर (राजस्थान एक्सप्लोसिव एंड केमिकल लिमिटेड, धोलपुर निर्मित) जब्त किये गये हैं.
कौन बने अभियुक्त, कौन सी धारा
मामले में बाराबनी थाना पुलिस ने कांड संख्या 90/2017 दिनांक 28 जून, 17 दर्ज की है. भादवि की धारा 379/ 411/ 419/ 120 (बी) तथा एमएमआरडी एक्ट, 1957 के सेक्शन 21, डब्ल्यूबीएलआर एक्ट 1955 के सेक्शन 4 डी तथआ एक्सप्लोसिव एक्ट 1984 के सेक्सन 9-बी(1बी)(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इसमें गिरफ्तार दीपक शर्मा, नंदकिशोर शर्मा, आठ डंपरों के मालिक, दो ट्रेक्टरों के मालिक, कार के मालिक तथा मशीनों व जेनरेटरों के मालिकों को आरोपी बनाया गया है.
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (वेस्ट) अनामित्न दास ने बताया कि इस मामले में भारी मात्र में विस्फोटक सामग्री की बरामदगी जांच के केंद्र में है. अवैध पत्थर खदान में इतनी मात्र में विस्फोटक सामग्री कहां से आयी, इसकी गहरायी से जांच की जा रही है. हालांकि अब तक की जांच में मिले तथ्यों के अनुसार खदानों का मुख्य संचालक नंदकिशोर शर्मा फरार है. उसकी गिरफ्तारी के बाद ही इस मामले में सही तथ्य सामने आ सकेंगे. उन्होंने स्वीकार किया कि विस्फोटकों की बरामदगी गंभीर मुद्दा है.
खदान के लिए हड़पी गयी थी जमीन: कांसकुली के स्थानीय निवासी सुबल घोष ने बताया कि कांसकुली मौजा के जेएल नम्बर चार के प्लॉट नम्बर 1026, 1027, 1028 और 1029 में उनकी 97 डेसीमल जमीन है. पत्थर माफियाओं ने हड़पकर वहां पत्थर खदान बना दिया है. इसका विरोध करने पर उनपर जानलेवा हमला हुआ. उनके बेटों की पिटाई की गयी. पुलिस में शिकायत करने जाने पर शिकायत दर्ज नही हुई. बाध्य होकर इसकी शिकायत पुलिस के वरीय अधिकारियों के साथ, भूमि विभाग से जुडे सभी अधिकारियों , बीडीओ से लेकर डीएम तक और अंत मे राज्य मुख्यालय नवान्न में शिकायत भेजी गई है. उन्होंने कहा कि पत्थर माफियाओं ने जमीन की तरफ आने पर जान से मारने की धमकी दी है. इसकी खिलाफ भी थाने में दर्ज नहीं हुई.
विस्फोटक सामग्री की बरामदगी की पूरी जांच: पुिलस आयुक्त
पुलिस आयुक्त लक्ष्मी नारायण मीणा ने कहा कि कांसकुली के पत्थर खदान परिसर में बरामद विस्फोटक सामग्री कहाँ से और किस प्रकार यहां आयी, इसकी पूरी जांच पुलिस कर रही है.
उन्होंने कहा कि यह पत्थर खदान काफी दिनों से चल रहा था. बाराबनी थाना पुलिस ने स्थानीय बीएलएंडएलआरओ को अनेकों बार पत्न लिखकर जानना चाहा कि कांसकुली में जो पत्थर खदान चल रहे है, वो बैध है या नहीं लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला. यदि सही समय पर जानकारी मिल जाती तो पुलिस पहले ही कार्रवाई करती. उन्होंने कहा कि खदान संचालक ने इतना विस्फोटक कहाँ से लाया है, इसकी जानकारी उसके गिरफ्तार होने के बाद ही मिलेगी. पुलिस उसके गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है.
कांसकुली में विस्फोटक आया कहां से: पुलिस सूत्नों के अनुसार कांसकुली मामले में खदान संचालक नंदिकशोर शर्मा के पास एक्सप्लोसिव लाइसेंस है. जिस खदान में छापामारी हुई, वह खदान सितंबर, 2016 से पहले तक खदान नंद किशोर राज्य सरकार से क्यायरी परमिशन लेकर चला रहा था. संभावना यह है कि उसी दौरान उसने एक्सप्लोसिव लाइसेंस बनाया था.
उसी लाइसेंस पर अब तक वह एक्सप्लोसिव उठा रहा था. जिला प्रशासन जब तक केंद्र सरकार को यह सूचना नहीं देगा कि उक्त व्यक्ति का खदान का लीज समाप्त हो गया है उसका लायसेंस केंद्र सरकार से रद्द नहीं होगा. लाइसेंस यदि पांच या दस की अविध का है तो उतने दिन तक वह किसी भी एक्सप्लोसिव डीलर से वह एक्सप्लोसिव ले सकता है. उसका उपयोग कहां और कैसे करेगा, यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है.
एक्सप्लोसिव एक्ट में क्या है प्रावधान
एक्सप्लोसिव लाइसेंस के लिए किसी भी खदान संचालक को पहले खदान का लीज पेपर लेकर पुलिस, बीएलएंडएलआरओ , एसडीएंडएलआरओ, डीएलएंडएलआरओ, पुलिस के डीआईवी विभाग से अनुमति लेकर जिला शासक से एनओसी प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होता है.
जिला शासक के एनओसी मिलने के बाद केंद्र सरकार की एक्सप्लोसिव विभाग अंतर्गत पेट्रोलियम एक्सप्लोसिव एंड सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन के पास आवेदन करना होता है. जहां से दो, पांच और दस साल के लिए एक्सप्लोसिव का लाइसेंस मिलता है. यह सिर्फ उपयोग के लिए होता है. इसके अलावा भी विस्फोटक अधिनियम के तहद फॉर्म 22 में विस्फोटक रखने, उपयोग करने और बेचने का लाइसेंस मिलता है. जिनके पास फॉर्म 22 का लाइसेंस है, उन्हें किसी बैध खदान में ब्लास्टिंग करने का भी अधिकार प्राप्त है.
एक्सप्लोसिव के नियम हैं काफी सख्त
एक्सप्लोसिव के स्थानीय डीलर वीके ढल ने बताया कि देशभर में आतंकी हमले को देखते हुए एक्सप्लोसिव प्राप्त करने के लिए नियम काफी कठिन हो गए है. कुकिंग गैस की बुकिंग की तरह एक्सप्लोसिव लेने के लिए ऑन लाइन बुकिंग करनी होती है. बुकिंग करने के कम से कम 72 घंटे बाद ग्राहक को एक्सप्लोसिव की डिलेवरी होती है. बुकिंग के बाद तीन दिनों तक चलने वाली प्रक्रि या में ग्राहक के लाइसेंस और उसकी बैधता की जांच होती है जिसके उपरांत लाइसेंस में निर्धारित कोटे के आधार पर ग्राहक को एक्सप्लोसिव की डिलेवरी दी जाती है. लाइसेंस में कोटा फिक्स होता है. कोटे से ज्यादा किसी को एक्सप्लोसिव नहीं मिलता है.
राज्य सरकार के मुख्य खनन अधिकारी (सीएमओ) जयदेव दास ने कहा कि आसनसोल महकमा में बाराबनी प्रखण्ड अंतर्गत आमडीहा इलाके में ही सिर्फ दो पत्थर खदान बैध है. इन्हें माईिनंग का लीज मिला है. सालानपुर प्रखण्ड के देंदुआ ग्राम पंचायत अंतर्गत महेशपुर में एक खदान को इनवायरमेंट क्लीयरेंस मिल गया है. यहां खनन कार्य आरंभ हो सकता है. इनके अलावा अन्य कोई खदान चल रहे हैं तो सभी पत्थर खदाने अबैध हैं.
कांसकुली में कभी भी किसी पत्थर खदान का लीज नहीं दिया गया. सितंबर, 2016 से पहले सरकारी नियमानुसार यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन के नीचे का पत्थर खनन करना चाहता था तो उसे 45, 60 या 90 दिन का क्यायरी परमिट (शॉर्ट टर्म लीज) दिया जाता था. सरकार को रॉयल्टी भुगतान कर वह व्यक्ति खनन कर सकता था. यह नियम बदल गया है. अब सिर्फ लांग टर्म लीज देने का ही नियम है.

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