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वामपंथी आदिवासी नेता कविलाल का विशाखापत्तनम में निधन
अखिल भारतीय सम्मेलन में होने गये थे शामिल, हॉर्ट अटैक से मौत 14 वर्ष की उम्र में ही शामिल हुए नक्सल आंदोलन में, थामी थी बंदूक वाममोर्चा के शासनकाल में हुआ हथियारों से मोहभंग, बने माकपा कर्मी पानागढ़ : आदिवासी जनबहुल कांकसा जंगलमहल के डंगालग्राम निवासी तथा अखिल भारतीय आदिवासी अधिकार रक्षा मंच के केंद्रीय […]
अखिल भारतीय सम्मेलन में होने गये थे शामिल, हॉर्ट अटैक से मौत
14 वर्ष की उम्र में ही शामिल हुए नक्सल आंदोलन में, थामी थी बंदूक
वाममोर्चा के शासनकाल में हुआ हथियारों से मोहभंग, बने माकपा कर्मी
पानागढ़ : आदिवासी जनबहुल कांकसा जंगलमहल के डंगालग्राम निवासी तथा अखिल भारतीय आदिवासी अधिकार रक्षा मंच के केंद्रीय कमेटी के सदस्य कविलाल मांडी का निधन हो गया.
वे विशाखापत्तनम में आयोजित आदिवासी अधिकार रक्षा मंच के अखिल भारतीय सम्मेलन में शामिल होने गये थे. अचानक हॉर्ट अटैक होने से उनका निधन हो गया. वे काकसा के वनकाठी ग्राम पंचायत के प्रधान तथा बर्दवान जिला परिषद के सह सभापति भी रहे थे.
आदिवासियों के लिए नाटकों की रचना व मंचन के साथ ही दर्जनों कविताओ की रचना भी की. महज 14 वर्ष की आयु में वे मीसा के तहत गिरफ्तार हुए थे. वर्ष 1974 जब जंगलमहल में नक्सलवाद का दबदबा था, उन्होने भी आदिवासियों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ बंदूक पकड़ ली थी. इस कारण ुनकी गिरफ्तारी हुयी. वर्ष 1977 में बामफ्रंट की सरकार आने के बाद सभी राजनैतिक बंदियों को मुक्त कर किया गया. कविलाल भी मुक्त हुए.
जेल से रिहा होने के बाद नक्सलवाद से उनका मोहभंग हो गया तथा वर्ष 1980 में वे माकपा के सदस्य बन गये. कांकसा जंगलमहल के सीमा में बंसे आदिवासियों के उत्थान के लिए वे सदैव संघर्षरत थे. आदिवासियों के विकास के लिए देश भर में आदिवासी आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने का दायित्व ग्रहण किया. परिवर्त्तन के बाद गठित तृणमूल सरकार के शासनकाल में उन्हें पुन: काफी प्रताड़ना ङोलनी पड़ी. उनके निधन की सूचना के बाद कांकसा जंगलमहल शोकाकुल है.
सीपीएम के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्र, पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात, मदन घोष, अमल हालदर, जिला नेता विरेश मंडल, काकसा जोनल सचिव आलोक भट्टाचार्य समेत आदिवासी मंच के राज्य सचिव शंकर मुखोपाध्याय आदि ने शोक जताया है. शुक्र वार की अपराह्न उनका पार्थिव शरीर एबुंलेंस से विशाखापत्तनम से पानागढ़ बाजार स्थित सीपीएम के काकसा जोनल कार्यालय पहुंचा. यहां पार्टी नेताओं व सदस्यों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. उनके पैतृक गांव से शव यात्र निकाली गयी. हजारों की संख्या में इसमें ग्रामीण शामिल हुए.
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