शुरुआत में नजरंदाज करने के पांच मिनट बाद जलने की महक कमरे में धीरे-धीरे भरने लगी, तभी वह कमरे से बाहर निकले तो बाहर बरामदे में धुआं भरा हुआ देखा. आसपास होटल के अन्य स्टाफ इधर-उधर भाग रहे थे. उनकी पत्नी दिव्यांग है. इसके कारण किसी तरह सुरक्षाकर्मियों की मदद से पत्नी को बाहर निकालने में वह खुद भी जख्मी हुए.
इसके बाद एसएसकेएम अस्पताल ले जाने पर प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गयी. उनका कहना है कि बुधवार देर रात वह भयावह पल को वह भुला नहीं पा रहे हैं. किसी तरह लोगों की मदद से वह तो अपनी पत्नी के साथ होटल से बाहर निकल गये, लेकिन अंदर काफी लोग फंसे थे. कोई शोर मचाकर दूसरों से मदद मांग रहा था, तो कोई चिमनियों की पाइप से नीचे उतर कर जान बचाने की कोशिश कर रहा था. रात का समय होने के कारण पुलिस व दमकलकर्मियों के अलावा आसपास के कुछ ही लोग मदद के लिए वहां पहुंच सके थे. अब भी आंखें बंद करता हूं तो वही अग्निकांड याद आने से दिल दहल उठता है.