कोलकाता: कोल इंडिया लिमिटेड के पास मात्र 18.2 बिलियन टन कोयला ही रिजर्व हैं, जो कि अगले 17 वर्ष में खत्म हो जायेगा. कंपनी इस संबंध में 21.7 बिलियन टन कोयला रिजर्व में रहने का जो दावा कर रही है, वह पूर्ण रूप से गलत है. कंपनी के पास 21.7 बिलियन टन से 16 फीसदी कम अर्थात 18.2 बिलियन टन कोयला रिजर्व है. ऐसा ही आरोप ग्रीनपीस नामक संस्था ने कोल इंडिया पर लगाया है. गौरतलब है कि कंपनी ने वर्ष 2010 में एनएसई व बीएसई में सूचीबद्ध होने से पहले बताया था कि उसके पास 21.7 बिलियन टन कोयला रिजर्व हैं.
इस संबंध में अब संस्था की ओर से कोल इंडिया लिमिटेड के खिलाफ सिक्युरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के समक्ष मामला दर्ज किया है और कहा है कि कंपनी ने सूचीबद्ध होने से पहले गलत जानकारी दी थी.
कंपनी ने अपने पुराने फॉर्मूला इंडिया स्टैंडर्ड प्रोसेड्योर सिस्टम के तहत रिजर्व कोयला के संबंध में आंकड़ा पेश किया था और इसमें 21.7 बिलियन टन कोयला संरक्षित रहने का दावा किया गया है, जबकि वर्ष 2000 में ही सरकार ने रिजर्व कोयला की सही जानकारी करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क क्लासिफिकेशन (यूएनएफसी) लागू करने की बात कही थी, लेकिन अब तक पुराने फामरूले से ही रिजर्व कोयला की जानकारी एकत्रित की जा रही है. वर्ष 2011, में सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआइएल) ने यूएनएफसी फामरूला के माध्यम से रिजर्व कोयला का आंकड़ा पेश किया, जिसके अनुसार कंपनी के पास मात्र 18.2 बिलियन टन कोयला रिजर्व है, जो अगले 17 वर्ष में खत्म हो जायेगा.
रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2011 से अगस्त 2013 तक कंपनी ने 1.05 बिलियन टन कोयला का उत्पादन कर लिया है, इसलिए अब कंपनी के पास मात्र 17.15 बिलियन टन कोयला रिजर्व है. इस 17.15 बिलियन टन कोयला में करीब 90 फीसदी नॉन-कोकिंग कोल है, जिसकी मात्र करीब 15.4 बिलियन टन है. इस संबंध में पूछे जाने पर कंपनी के अधिकारियों ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.