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उत्तर बंगाल में इनसेफ्लाइटिस ने लिया महामारी का रूप, और छह लोगों की मौत

सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल के विभिन्न स्थानों पर इनसेफ्लाइटिस रोगियों की बढ़ती संख्या ने गंभीर रूप धारण कर लिया है. पिछले दस दिनों में इस बीमारी से 30 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. रोगियों की मौत का सिलसिला नहीं रुक रहा है. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इनसेफ्लाइटिस बीमारी से पीड़ित रोगियों […]

सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल के विभिन्न स्थानों पर इनसेफ्लाइटिस रोगियों की बढ़ती संख्या ने गंभीर रूप धारण कर लिया है. पिछले दस दिनों में इस बीमारी से 30 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. रोगियों की मौत का सिलसिला नहीं रुक रहा है.

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इनसेफ्लाइटिस बीमारी से पीड़ित रोगियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. पिछले 24 घंटे के दौरान इस अस्पताल में इनसेफ्लाइटिस से पीड़ित 6 और रोगियों की मौत हो गयी है. अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अस्पताल में अभी भी इस बीमारी के करीब एक दर्जन से अधिक मरीज भरती हैं. इनमें से चार रोगियों की स्थिति गंभीर बनी हुई है. सूत्रों ने बताया कि इन मरीजों को वेंटीलेशन पर रखा गया है. अस्पताल सूत्रों ने बताया है कि उत्तर बंगाल के सभी छह जिलों में इस बीमारी का असर देखा जा रहा है. खासकर कूचबिहार तथा जलपाईगुड़ी जिले में इस बीमारी ने महामारी का रूप धारण कर लिया है. इसके अलावा सीमावर्ती असम तथा बिहार में भी इस बीमारी ने अपना पैर पसार लिया है.

लोअर असम तथा बिहार के किशनगंज से कई मरीज उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भरती हुए हैं. पिछले 24 घंटे के अंदर जिन 6 रोगियों की मौत हुई है, इनमें से बुधवार की शाम को चार रोगियों की मौत हुई है. एक मरीज किशनगंज का भी है. उसकी पहचान मेदो सोरी के रूप में की गयी है. जबकि चार रोगियों की पहचान कूचबिहार जिला अंतर्गत जमालद के मनतोष कीर्तनिया, शीतलकुची के दिनबाला बर्मन, जलपाईगुड़ी जिला अंतर्गत राजगंज के जीतेन राय के रूप में हुई है. वहीं गुरुवार की सुबह जलपाईगुड़ी जिले के बाताबाड़ी की रहने वाली आलियान खातून (55) एवं बोडोभीटा के निवासी सुकदेव दास (55) की इस बीमारी से मौत हो गयी है. इस बीच, इनसेफ्लाइटिस रोगियों की लगातार बढ़ती संख्या के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं मंत्रियों में किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं है. तमाम आलाधिकारी से लेकर मंत्री गौतम देव तक सभी मुख्यमंत्री के दाजिर्लिंग दौरे को लेकर व्यस्त हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों दाजिर्लिंग दौरे पर हैं. हालांकि कल वह उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल जाने वाले थे, लेकिन मुख्यमंत्री के दौरे को लेकर वह वहां नहीं जा सके. इसके अलावा उत्तर बंगाल के बंद चाय बागानों का दौरा भी कई मंत्रियों ने किया है. इनमें स्वास्थ्य राज्यमंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य भी थी.

पिछले तीन दिनों से चंद्रिमा भट्टाचार्य उत्तर बंगाल में रहीं. लेकिन यहां रहने के बावजूद एक बार भी उन्होंने मेडिकल कॉलेज का दौरा नहीं किया. वह कल मुख्यमंत्री के आगमन से पहले कोलकाता रवाना हो गयीं. राज्य सरकार के मंत्रियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस तरह की उपेक्षा से रोगियों के परिजनों में भारी रोष है. इस बीच, भाजपा ने इनसेफ्लाइटिस रोगियों को उचित चिकित्सा तथा इस रोग की रोकथाम के लिए उचित उपाय नहीं किये जाने का आरोप राज्य सरकार पर लगाया है. भाजपा के जिला महासचिव नंदन दास ने इसके विरोध में आंदोलन की धमकी दी है.

उन्होंने कहा है कि सिलीगुड़ी नगर निगम तथा सिलीगुड़ी महकमा परिषद इलाके में पिछले कुछ महीनों से नागरिक सेवा पूरी तरह से ठप्प है. सिलीगुड़ी में अब तक डंपिंग ग्राउंड की कारगर व्यवस्था नहीं हो पायी है. सिलीगुड़ी नगर निगम का बोर्ड भंग होने के बाद से ही शहर के विभिन्न इलाकों में कचरे का ढेर है. नियमित रूप से साफ-सफाई नहीं हो रही है जिसकी वजह से मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ गया है और इस तरह की बीमारी हो रही है. उन्होंने उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में किसी मंत्री के नहीं जाने की भी आलोचना की और कहा है कि तृणमूल के सभी नेता और समर्थक ममता बनर्जी को भगवान मानते हैं, जबकि लोकतंत्र में असली भगवान जनता है. तृणमूल कांग्रेस के नेता जनता की उपेक्षा कर मुख्यमंत्री की सेवा में लगे हुए हैं. दूसरी तरफ माकपा नेता अशोक भट्टाचार्य ने भी तृणमूल कांग्रेस तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा है कि पूरे राज्य में नीले एवं सफेद रंग कराने के अलावा कोई काम नहीं हो रहा है. उन्होंने इनसेफ्लाइटिस रोगियों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की.

क्या कहना है अस्पताल अधीक्षक का
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के स्वास्थ्य अधीक्षक डॉ. अमरेंद्र नाथ सरकार ने स्वीकारा कि चौबीस घंटे के अंदर छह रोगियों की मौत हुई है. फिलहाल अस्पताल में इनसेफ्लाइटिस से पीड़ित रोगियों की कुल संख्या 9 है. वहीं संदिग्ध इनसेफ्लाइटिस रोगियों की संख्या ढाई दर्जन से भी अधिक है. उन्होंने बताया कि इनसेफ्लाइटिस रोग की जांच हेतु पुणो की स्वास्थ्य संगठन नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वाइरोलॉजी से बड़े पैमाने पर किट्स मंगाये गये हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इनसेफ्लाइटिस से लड़ने के लिए अस्पताल परिसर एवं पीड़ित रोगियों की साफ-सफाई, उचित स्वास्थ्य परिसेवा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. साथ ही अस्पताल परिसर में मच्छरों को भगाने वाले तेल का स्प्रे एवं रोगियों को मच्छरदानी की व्यवस्था की जा रही है.

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