कोलकाता: ममता बनर्जी हमेशा से वाटर टैक्स की विरोधी रही हैं, लेकिन लगता है कि अब उनका और उनकी सरकार का मन पलट रहा है. आनेवाले दिनों में राज्य के लोगों को पेयजल के लिए पॉकेट हल्का करना पड़ सकता है. पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग वाटर बोर्ड (जल पर्षद) का गठन करने की योजना बना रहा है, जिसके लिए विधानसभा में बिल पेश किया जायेगा.
वाटर बोर्ड के गठन की योजना ने ही वाटर टैक्स लागू करने की आशंका को जन्म दिया है. राज्य में जलापूर्ति परियोजना तैयार करने की जिम्मेदारी पहले की ही तरह पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग के हाथों में ही रहेगी, लेकिन भविष्य में उन परियोजनाओं की देखभाल की जिम्मेदारी वाटर बोर्ड को सौंप दी जायेगी. इसके लिए रकम की जरूरत पड़ेगी, उसकी भरपाई वाटर टैक्स के द्वारा ही की जायेगी.
पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग जलापूर्ति व्यवस्था पर प्रत्येक वर्ष 250 करोड़ रुपये खर्च करता है. तमिलनाडु व गुजरात में जल पर्षद तैयार कर वहां लोगों से पेयजल के लिए चार्ज लिया जाने लगा है. इसके साथ ही विभाग पानी की चोरी रोकने के लिए भी एक कानून बनाने जा रहा है, जिसके लिए असेंबली में बिल पेश किया जायेगा. वर्तमान में राज्य के ग्रामीण इलाकों में पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग लगभग तीन करोड़ लोगों को पाइपलाइन के माध्यम से पानी की सप्लाई करता है. पर, चोरी के कारण काफी लोग स्वच्छ पेयजल से वंचित रह जाते हैं.