लखनऊ : उम्र महज एक संख्या है. 92 साल की सलीमा खान ने इसे साबित कर दिखाया है. उन्होंने उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर में प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई की है. 92 साल की इस बुजुर्ग महिला ने साबित कर दिया कि सीखने और शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती. 'बूढ़ी अम्मा' को पढ़ाई करना पसंद है और वह रोजाना स्कूल जाती हैं. अब, सलीमा खान आसानी उर्फ "खान चाची " अपना नाम लिख सकती हैं. 100 तक गिनती कर सकती हैं. प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनके लिए वृद्धावस्था पेंशन की व्यवस्था करेंगी.
अंग्रेजों के जमाने की सलीमा खान की 14 साल की उम्र में शादी कर
बुलंदशहर में रहने वाली 92 वर्षीय सलीमा खान इस उम्र में बुलंदशहर के चावली प्राथमिक विद्यालय में पढाई करने जाती हैं. सलीमा खान कक्षा में छोटे-छोटे बच्चों जो उनके नाती- पोते से भी कम उत्र के हैं, के साथ पढ़ाई करती हैं. सलीमा खान उर्फ़ खान चाची का कक्षा में छात्र-छात्राओं के साथ पढाई करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. अंग्रेजों के जमाने की सलीमा खान की 14 साल की उम्र में शादी कर दी गई थी. उनकी इच्छा पढ़ाई की थी लेकिन ब्रिटिश शासन में ऐसा न हो सका. अब 92 साल की उम्र में वह अधूरा सपना पूरा कर रही हैं. बपचन में स्कूल में पढ़ने की इच्छा इस उम्र में पूरी कर सभी के लिए मिसाल बन गई हैं.
पढ़ना अच्छा लगता है... अब मैं नोट गिन सकती हूं : सलीमा
सलीमा खान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि " उन्हें पढ़ना अच्छा लगता है, मैं स्कूल जाती हूं, अब मैं नोट गिन सकती हूं." सलीमा का कहना है,"मेरे पोते-पोतियां मुझे ज्यादा पैसे देने के लिए बरगलाते थे क्योंकि मैं नोटों की गिनती नहीं कर पाती थी. अब वो दिन चले गए." वहीं प्राथमिक विद्यालय चवली की हेडमास्टर डॉ. प्रतिभा शर्मा कहती हैं " मैंने उससे कहा कि अगर वह स्कूल में आकर पढ़ेंगी, तो मैं उनकी पेंशन की व्यवस्था कर दूंगी, इससे उसे प्रेरण...प्रेरणा मिली. अब वह 100 तक गिनती कर सकती हैं, अपना नाम खुद लिख सकती है."
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में हो सकता है नाम दर्ज
92 वर्षीय सलीमा खान का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सबसे ज्यादा उम्र में पढ़ाई शुरू करने के लिए दर्ज हो सकता है. अभी तक यह रिकार्ड केन्या के नाम है. केन्या के किमानी नगांगा मारुगे जो कि दिवंगत हो गए हैं, प्राथमिक विद्यालय पूरा करने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति के रूप में सूचीबद्ध हैं. किमानी नगांगा मारुगे ने 84 वर्ष की आयु में 2004 में दाखिला लिया था.
गांव की 25 महिलाओं को भी साक्षरता के लिए प्रेरित किया
प्राथमिक विद्यालय चवली की हेडमास्टर डॉ. प्रतिभा शर्मा कहती हैं कि टीचर शुरू में खान चाची को पढ़ाने में झिझक रहे थे, लेकिन पढ़ाई के प्रति उनके जुनून ने सभी का दिल ,जीत लिया. सलीमा खान न सिर्फ खूद ही स्कूल जाकर पढ़ाई-लिखाई नहीं करती हैं , दूसरों को भी अपने साथ पढ़ने को प्रेरित करती हैं. जब से वह स्कूल आ रही हैं गांव की 25 महिलाओं ने भी साक्षरता कक्षाएं शुरू कर दी हैं.