लखनऊ : ज्यों-ज्यों उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव नजदीक आ रहा है, प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं.मुलायम सिंह यादवपरिवार के झगड़े सेसमाजवादी पार्टीको जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई और प्रदेश में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए सपा अध्यक्ष प्रदेश में गठबंधन करने के मूड में हैं. वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेशयादवका यह दावा है कि उनके कार्यों की बदौलत सपा अकेले ही अपने दम पर बहुमत प्राप्त कर लेगी, लेकिन गठबंधन हुआ तो हम 300 सीट जीत कर ले आयेंगे.
सपा के रजत जयंती समारोह में हुआ था समाजवादियों का जमावड़ा
प्रदेश में गठबंधन की चाह में मुलायम सिंह की पहल पर शिवपाल यादव ने समाजवादी नेताओं से मुलाकात की और उन्हें सपा के रजत जयंती समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दिया. मुलायम इस प्रयास में हैं कि बिहार की तर्ज पर यूपी में भी गठबंधन हो जाये और सपा की सरकार प्रदेश में दुबारा बने. हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री व जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार इस समारोह में नहीं पहुंचे, लेकिन शरद यादव और राजद नेता लालू यादव समारोह में पहुंचे थे. उनके अलावा रालोद के अजीत सिंह और जनता दल सेक्यूलर के एचडी देवगौड़ा भी समारोह में पहुंचे. हालांकि गठबंधन के भविष्य को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया गया, लेकिन यह बात छनकर आयी कि गठबंधन के आसार हैं और सभी पार्टियां गठबंधन के प्रति इच्छुक हैं.
कांग्रेस के रणनीतिकार मिले अखिलेश से
गठबंधन की बातों को तब और बल मिला जब कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे. हालांकि इस बैठक में क्या बात हुई इसका खुलासा नहीं हो पाया, लेकिन अखिलेश ने यह कहा कि बातचीत सकारात्मक रही. जब से गठबंधन की बातें शुरू हुईं हैं, अखिलेश हमेशा यह कहते रहे हैं कि गठबंधन का निर्णय नेताजी करेंगे. मैं इस संबंध में कुछ नहीं जानता. अखिलेश का यह भी दावा कि अगर गठबंधन हुआ तो सपा 300 सीट ले आयेगी. सूत्रों के हवाले से यह खबर भी आयी है कि कांग्रेस सपा के साथ गठबंधन के लिए तैयार है लेकिन वह 403 सदस्यीय विधानसभा में 125 सीट चुनाव के लिए चाहती है. अब देखना यह है कि सपा और कांग्रेस के बीच बातचीत कहां तक पहुंचती है.
सपा की मजबूरी भी है गठबंधन
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को भाजपा और अमित शाह ने अपनी नाक की लड़ाई बना ली है. वे किसी भी हाल में इस प्रदेश को जीतना चाहते हैं, सर्जिकल स्ट्राइक और कालेधन को मुद्दा बनाकर भाजपा चुनाव में फायदा उठाना चाहती है और इसका फायदा उसे मिलेगा भी. वहीं सपा के झगड़े से पार्टी को नुकसान हुआ है. अब मुलायम सिंह यादव को यह चिंता सता रही है कि कहीं उसके मुसलमान वोटर भ्रमित होकर बसपा की ओर ना चलें जायें, इससे पार्टी को बड़ा नुकसान होगा. इस स्थिति से बचने के लिए सपा के लिए गठबंधन एक तरह से मजबूरी बन गया है.
