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महिला दिवस पर अखिलेश ने विशिष्ट महिलाओं को किया सम्मानित

लखनउ : जिंदगी को अंधेरे में धकेलने वाले तेजाब हमले में उसने भले ही अपनी आंखों की रौशनी गंवा दी हो, लेकिन अपनी दृष्टि नहीं. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों सम्मानित होने वाली हर महिला के दिल में यही जज्बा दिखा. सीता (बदला हुआ नाम) को भी […]

लखनउ : जिंदगी को अंधेरे में धकेलने वाले तेजाब हमले में उसने भले ही अपनी आंखों की रौशनी गंवा दी हो, लेकिन अपनी दृष्टि नहीं. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों सम्मानित होने वाली हर महिला के दिल में यही जज्बा दिखा.

सीता (बदला हुआ नाम) को भी कुछ साल पहले एक सिरफिरे के तेजाब हमले का शिकार होने के बाद मुश्किलों का भंवर और अंधकारमय भविष्य दिखा था लेकिन इस जीवट लड़की के अंदर उस वहशियाना वारदात ने जीने का एक नया जज्बा और हिम्मत भर दी.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सीता की ही तरह तेजाब हमले की शिकार होने के बावजूद पूरी जिंदादिली से जीने की हिम्मत दिखाने वाली 40 महिलाओं और युवतियों को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सम्मानित किया और उनकी आर्थिक मदद की.

किसी सहारे के बगैर मुश्किल से चल पाने वाली 18 वर्षीय बबीता (बदला हुआ नाम) अपने साथ हुई उस खौफनाक वारदात के बारे में बताते हुए आज भी सिहर उठती हैं. उन्होंने बताया कि 16 दिसम्बर 2013 को स्कूल से लौटते वक्त तीन युवकों ने उस पर तेजाब डाल दिया था, लेकिन वह हार मानने के बजाय जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने के लिये कोशिशमंद है.

बबीता ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा कि वह सरकार द्वारा दी गयी मदद से अपना इलाज जारी रखेंगी और अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश करेंगी ताकि उनके जैसी दूसरी लड़कियों की भी मदद हो सके.

कुछ ऐसी ही जिजीविषा भरी कहानी बिजनौर की रहने वाली 18 वर्षीय गीता :बदला हुआ नाम: की भी है जो वर्ष 2014 में 55 साल के एक व्यक्ति द्वारा फेंके गये तेजाब का निशाना बनी थी.

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर ‘शीरोज हैंगआउट’ नामक विशेष रेस्त्रां का उद्घाटन किया. इस रेस्त्रां को तेजाब हमले की शिकार महिलाएं और लड़कियां चलाती हैं.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस अवसर पर कहा कि तेजाब हमले की पीड़ित महिलाओं की कहानी हिम्मत और प्रेरणा से भरी है.

उन्होंने कहा कि यहां सम्मानित होने वाली हर महिला और लड़की की कहानी अपने आप में संघर्ष की दास्तान है.

शीरोज कैफे का नामकरण अंग्रेजी के ‘शी’ और ‘हीरोज’ के पिछले दो अक्षरों को मिलाकर बनाया गया है, जो नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. यह कैफे तेजाब हमले की शिकार हुई सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी और उनके साझीदार आलोक दीक्षित के स्वैच्छिक संगठन (एनजीओ) ‘छांव फाउंडेशन’ की पहल का नतीजा है.

यह एनजीओ आगरा में पहले से ही एक रेस्त्रां संचालित कर रहा है जो एक सांस्कृतिक केंद्र में तब्दील हो चुका है. अब उसमें बैंड वादन, फिल्म और वृत्तचित्र का प्रदर्शन तथा विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श का आयोजन होता है.

करीब 30 लोगों के बैठने की क्षमता वाले इस कैफे में पांच महिलाएं काम करती हैं और वे सभी कभी ना कभी तेजाब हमलों का शिकार हुई हैं. इनमें से एक महिला आज मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित सम्मान समारोह में मौजूद रही. उसने बताया कि इस कैफे में काम करते हुए उनमें तथा उनकी साथी कर्मियों में जिंदगी जीने की नई इच्छा पैदा हुई.

लखनउ में खुलने वाले शीरोज कैफे में भी तेजाब हमले की पीड़ित पांच लड़कियों को रोजगार मिलेगा. यह उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से की गयी अनोखी पहल है.

इस बीच, राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य का महिला एवं बाल कल्याण विभाग ऐसी 200 महिलाओं और लड़कियों को इलाज में मदद कर रहा है.

सम्मान समारोह के दौरान आगरा स्थित शीरोज कैफे में काम करने वाली तेजाब हमले की शिकार महिलाओं को दर्शाता एक कैलेंडर भी जारी किया गया.

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