लखनउ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ ने उत्तर प्रदेश तथा केंद्र सरकार को अयोध्या के विवादित स्थल के स्वामित्व के मामले में सितम्बर 2010 में फैसला सुनाने वाले न्यायाधीशों तथा मामले से जुडे वकीलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं.
न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह और न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की खण्डपीठ ने एक स्थानीय वकील रंजना अग्निहोत्री की याचिका पर गत गुरुवार को यह निर्देश देते हुए अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के लिए आगामी 15 जनवरी तक का समय दिया.
यह आदेश अयोध्या मामले से जुडे रहे न्यायाधीशों तथा वकीलों की सुरक्षा को खतरा बताने वाली अभिसूचना ब्यूरो की रिपोर्ट के मद्देनजर दिया गया है. अदालत ने कहा कि अभिसूचना ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक 30 सितम्बर 2010 को अयोध्या विवाद मामले में फैसला सुनाए जाने से पहले भी उससे जुडे न्यायाधीशों की टोह ली गयी थी और बाद में प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया :सिमी : के कार्यकर्ताओं ने न सिर्फ न्यायाधीशों बल्कि रामजन्म भूमि -बाबरी मस्जिद विवाद से जुडे वकीलों की हत्या करने की योजना भी बनई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक सिमी ने अपनी योजना को अमली जामा पहनाने के लिए इंडियन मुजाहिदीन से भी हाथ मिलाया था.