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दादरी काण्ड समेत कई घटनाओं का गवाह रहा साल 2015

लखनऊ : देश के सत्ता की प्रमुख सीढी माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के लिये साल 2015 लोकायुक्त नियुक्ति के मुद्दे पर राजभवन और राज्य सरकार के बीच हुए गतिरोध तथा देश की राजनीति में नया गुबार पैदा करने वाले दादरी काण्ड समेत कई कडवी-मीठी यादें देकर विदा होगा. इस साल लोकायुक्त की नियुक्ति तथा […]

लखनऊ : देश के सत्ता की प्रमुख सीढी माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के लिये साल 2015 लोकायुक्त नियुक्ति के मुद्दे पर राजभवन और राज्य सरकार के बीच हुए गतिरोध तथा देश की राजनीति में नया गुबार पैदा करने वाले दादरी काण्ड समेत कई कडवी-मीठी यादें देकर विदा होगा. इस साल लोकायुक्त की नियुक्ति तथा अन्य मुद्दों को लेकर राजभवन और अखिलेश यादव सरकार के बीच गतिरोध उजागर हुआ. राज्यपाल राम नाईक ने लोकायुक्त पद पर नियुक्ति के लिये मुख्यमंत्री, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की समिति की बैठक में एक नाम तय करने की शर्त पूरी ना होने का हवाला देकर फाइल को कई बार सरकार को लौटाया. गतिरोध बढने पर राज्यपाल ने सरकार द्वारा लोकायुक्त पद पर नियुक्ति के लिये प्रस्तावित न्यायमूर्ति रवीन्द्र यादव का नाम खारिज करते हुए नया नाम तय करने को कहा. तब सरकार ने एक विधेयक पारित कराया, जिसमें लोकायुक्त नियुक्ति सम्बन्धी समिति से मुख्य न्यायाधीश को हटाने का प्रावधान किया गया है. इस विधेयक को भी राज्यपाल ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है.

राज्यपाल और सरकार के बीच विधान परिषद सदस्य के खाली पडे पांच पदों पर मनोनयन का मुद्दा भी गतिरोध का कारण बना। नाईक ने मंजूरी के लिये भेजे गये नौ में से चार नामों को तो स्वीकृति दे दी थी लेकिन मनोनीत पांच लोगों के खिलाफ शिकायतों की जांच कराने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री को सौंपते हुए मामला सरकार के पास वापस भेज दिया. साल 2015 में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने सत्तारुढ सपा के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ टेलीफोन पर धमकाने का मुकदमा दर्ज कराया। हालांकि यह मुकदमा अदालत के आदेश पर हुआ. पुलिस में तहरीर देने के कुछ ही दिन बाद ठाकुर को कर्तव्य के प्रति लापरवाही के आरोप में निलम्बित कर दिया गया. साल 2015 में प्रदेश के एक लाख 72 हजार ‘शिक्षा मित्रों’ की प्रदेश की प्राथमिक पाठशालाओं में सहायक अध्यापक के तौर पर नियुक्ति के प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर उच्चतम न्यायालय ने सरकार के निर्णय पर रोक लगा दी. बाद में न्यायालय के एक आदेश ने शिक्षा मित्रों को राहत भी दी.

नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण :नोएडा: के निलम्बित पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह के खिलाफ अरबों रपये के घोटाले की खबरें भी चर्चा में रहीं। इसकी आंच सत्तारुढ सपा तक पहुंचती दिखी. राज्य सरकार द्वारा सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के विरोध में दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने के उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। इससे अखिलेश सरकार की खासी किरकिरी हुई. देश में असहिष्णुता पर जारी बहस को तूल देने वाली घटना प्रदेश के दादरी स्थित बिसाहडा गांव में घटी। सितम्बर के अंत में गौमांस का कथित सेवन करने के आरोप में भीड ने अखलाक नामक व्यक्ति के घर में घुसकर उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी और उसके बेटे दानिश को गम्भीर रुप से घायल कर दिया.

दादरी काण्ड की गूंज बिहार विधानसभा चुनाव में भी सुनायी दी थी. हालांकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्थिति को सम्भालने की कोशिश करते हुए अखलाक के परिजन को 45 लाख रपये की सहायता दी. कन्नड साहित्यकार एम. एम. कलबुर्गी की हत्या के बाद देश में बढती असहिष्णुता को लेकर शुरु हुई बहस और प्रतिक्रिया ने दादरी काण्ड के बाद और जोर पकड लिया. उसके बाद देश में कथित असहिष्णुता के खिलाफ साहित्यकारों द्वारा खुद को मिले सम्मान लौटने का सिलसिला और तेज हो गया.

साहित्यकारों द्वारा सम्मान लौटाने को लेकर जारी बहस के बीच राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने देश में विविधता, बहुलता और सहिष्णुता को भारतीय सभ्यता के प्रमुख मूल्य करार देते हुए उन्हें बरकरार रखने की जरुरत बतायी. इस वर्ष कुछ बडे राजनेताओं के बयान भी चर्चा में रहे. सबसे ज्यादा चर्चा सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के सामूहिक बलात्कार के अव्यावहारिक होने सम्बन्धी कथित बयान की हुई.

साल 2015 में ‘हॉलीडे पॉलिटिक्स’ भी खासी चर्चा में रही. प्रदेश सरकार ने इस साल महाराणा प्रताप जयन्ती, विनोबा भावे, चंद्रशेखर तथा कई अन्य हस्तियों की जयन्ती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया. वोट बैंक के लिये उठाया गया कदम मानी जा रही इन घोषणाओं के बाद प्रदेश में ऐसी छुट्टियों की संख्या बढकर 40 हो गयी है. साल के शुर में लखनउ के मलिहाबाद तथा पडोसी जिले उन्नाव में जहरीली शराब पीने से कुल 40 लोगों की मौत हो गई। 20 मार्च को रायबरेली जिले के बछरावां रेलवे स्टेशन के पास देहरादून-वाराणसी जनता एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन तथा दो बोगियों के पटरी से उतर जाने से 38 लोगों की मौत हो गई तथा 150 लोग घायल हो गए. इसी साल प्रदेश के उन्नाव स्थित पुलिस लाइन के एक कमरे से बडी संख्या में मानव कंकाल बरामद होने से सनसनी फैल गयी। बहराइच, गोरखपुर तथा मुरादाबाद में भी ऐसा ही हुआ और जांच में पाया गया कि वे कंकाल पोस्टमार्टम के लिये लाये गये शवों के थे, जिन्हें सम्बन्धित मुकदमे खत्म होने के बाद भूलवश नष्ट नहीं किया गया था.

वर्ष 2014 हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 80 में से 71 सीटें जीतने वाली भाजपा को इस साल हुए छावनी परिषद के चुनावों में करारा झटका लगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के चुनाव क्षेत्र लखनउ में छावनी परिषद की सभी सीटों पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी हार गए. साल के अंत में हुए जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में सत्तारुढ सपा को भी झटका लगा। प्रदेश के कई मंत्रियों तथा वरिष्ठ नेताओं के अनेक रिश्तेदार चुनाव हार गये, वहीं प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में जिला पंचायत सदस्य की 48 सीटों में से भाजपा को सिर्फ आठ पर ही जीत हासिल हो सकी. जिला पंचायत सदस्य चुनाव में मुख्य विपक्षी दल बसपा ने कामयाबी हासिल की और ज्यादातर जगहों पर उसके समर्थित प्रत्याशी जीत गये.

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