लखनऊ : उत्तर प्रदेश में गरीबों के लिए पूरे जोर शोर के साथ शुरु की गयी ‘समाजवादी’ आवास योजना में विरोधाभास नजर आता है क्योंकि बेघर लोगों को सिर पर छत के लिए 34 हजार रुपये मासिक किस्त देनी होगी. स्कीम की शुरुआत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दो मई को एक पांच सितारा होटल में की थी. विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा था कि राज्य सरकार गरीबों का मजाक बना रही है.
स्कीम के तहत उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास बोर्ड 7756 फ्लैट बनाएगा, जिनकी कीमत सवा बारह लाख रुपये से लेकर तीस लाख रुपये के बीच होगी. गरीबों को फ्लैट देने का ऐलान राजनीतिक विवाद में फंसता दिख रहा है और लगता है कि अब राज्य सरकार छीछालेदर होने से बचने की कोशिश कर रही है. बोर्ड के सचिव आर पी सिंह ने कहा कि हम कर्ज पर किस्त देने की अवधि मौजूदा तीन साल से बढा देंगे और इस प्रकार मासिक किस्त की राशि संशोधित की जाएगी। बोर्ड में कर्ज अदायगी की अवधि आठ से दस साल करने का प्रस्ताव लाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इस प्रकार अधिकतम तिमाही किस्त दस हजार रुपसे से तेरह हजार रुपये के बीच होगी. पूर्व में प्रस्तावित तीन साल की कर्ज अदायगी योजना के बारे में उन्होंने कहा कि किस्त की उंची रकम होने की वजह थी कि इस योजना के तहत कोई ब्याज नहीं लिया जा रहा था। ‘‘अधिकतम आवंटी बैंक से वित्तपोषण का विकल्प चुनते हैं जो 20 से 25 साल की अवधि में पुनभरुगतान की पेशकश करते हैं.’’ सपा सरकार की इस योजना के बारे में भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि यह ना सिर्फ गरीबों बल्कि समाजवाद का भी मजाक है.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने गरीबों की इस योजना की शुरुआत पांच सितारा होटल में की लेकिन अधिकारियों ने कोई ‘होम वर्क’ नहीं किया। कोई गरीब 34 हजार रुपये की किस्त कैसे दे सकता है. कांग्रेस विधायक अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि कोई गरीब इतनी बडी रकम कैसे दे सकता है. यदि सरकार वाकई गरीबों का भला करना चाहती है तो वह सब्सिडी दे या किस्त की रकम कम करे.