मथुरा : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से कोई संपर्क नहीं किये जाने से क्षुब्ध प्रतीत हो रहे गोवर्धनमठ पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर उनसे कभी कोई विचार-विमर्श नहीं किया है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में यह सरकार मंदिर निर्माण के संबंध में भविष्य में क्या रुख लेगी, यह कह पाना संभव नहीं. वे यहां वृंदावन स्थित हरिहर आश्रम में संवाददाताओं से मुखातिब थे.
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उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिंह राव और अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में उनसे की गयी वार्ताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि राव ने तो उनसे सीधे-सीधे चर्चा की थी, जबकि वाजपेयी ने मंदिर निर्माण विषय पर एक दूत के माध्यम से उनका विचार जानने का प्रयास किया था. उन्होंने कहा कि भाजपा नीत वर्तमान सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पिछले चार साल के कार्यकाल में कभी ऐसी पहल करने में किसी ने कोई रुचि नहीं दिखायी और न ही इस संबंध में प्रधानमंत्री ने अपने विचार सामने रखे.
शंकराचार्य ने बताया कि जहां तक मनमोहन सिंह के समय की बात है, तो उस समय राम मंदिर निर्माण की कोई बात ही नहीं थी. परंतु अयोध्या में राम मंदिर स्थापना की वकालत करने वाली भाजपा के राज में साधु-संतों से चर्चा भी नहीं करना कुछ अजीब लग रहा है, क्योंकि देश और प्रदेश में एकमत की सरकारें होने के कारण माना जा रहा था कि मंदिर निर्माण के लिए यह समय सर्वाधिक अनुकूल है.
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में यही एक चारा रह जाता है कि सरकार या तो सरदार वल्लभ भाई पटेल के समान मंदिर निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रयास करे अथवा सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करे. शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उनसे मुलाकात के लिए आने के विषय पर उन्होंने कहा कि वह केवल शिष्टाचार मुलाकात के लिए आ रहे हैं अथवा उनका कोई विशेष प्रयोजन है, यह अभी नहीं कहा जा सकता.