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बीएचयू में कुलपति के छुट्टी पर जाने के बाद रजिस्ट्रार नीरज त्रिपाठी बनाये गये अंतरिम कुलपति

नयी दिल्ली: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी के अनिश्चितकाल के लिए छुट्टी पर चले जाने के बाद अब विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नीरज त्रिपाठी अंतरिम कुलपति होंगे. गिरीश चंद्र त्रिपाठी कल निजी कारणों का हवाला देकर दो दिन पहले छुट्टी पर चले गये. उनका कार्यकाल 30 नवंबर तक का है.सूत्रों के अनुसार […]

नयी दिल्ली: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी के अनिश्चितकाल के लिए छुट्टी पर चले जाने के बाद अब विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नीरज त्रिपाठी अंतरिम कुलपति होंगे. गिरीश चंद्र त्रिपाठी कल निजी कारणों का हवाला देकर दो दिन पहले छुट्टी पर चले गये. उनका कार्यकाल 30 नवंबर तक का है.सूत्रों के अनुसार गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने रजिस्ट्रार को प्रभार सौंप दिया है जो नये कुलपति के नियुक्त होने तक इसदायित्व को संभालेंगे. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने पत्रकारों को बताया कि विश्वविद्यालय को गिरीश चंद्र त्रिपाठी का आवेदन मिल गया है और उन्होंने इसकी पुष्टि की कि वह अनिश्चितकालीन छुट्टी पर हैं. बीएचयू अधिनियम के अनुसार यदि विश्वविद्यालय प्रमुख छुट्टी पर जाता है तो रेक्टर प्रमुख के तौर पर काम करेगा और रेक्टर की अनुपस्थिति में विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार कुलपति का प्रभार संभालेगा.सोमवार को ही विश्वविद्यालय छात्रों के लिए पुन: खुला और इसी दिनअंतरिम कुलपति की जिम्मेवारी रजिस्ट्रार नीरज त्रिपाठी को सौंपी गयी.

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने फाइन ऑर्ट की एक छात्रा के साथ हुए दुर्व्यवहार के बाद छात्र-छात्रा आक्रोशित हो गये थे. उनका गुस्सा पूर्व से विश्वविद्यालय की छात्राओं से होने वाली छेड़छाड़ को लेकर फूट पड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बनारस के दौरे पर गये थे, उस समय छात्रों ने उग्र आंदोलन किया. छात्राओं के इस गुस्से को भुनाने की कई राजनीतिक दलों ने अपने-अपने ढंग से कोशिश भी की. कांग्रेस व भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी इस पर मोर्चा संभाला और आरोप प्रत्यारोपों का दौर चला. बाद में विश्वविद्यालय परिसर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया. इस हंगामे के दौरान कुलपति छात्राओं के प्रति उदासीनता दिखाने के कारण विवाद में आये और कमिश्नर ने अपनी जांच में हंगामे के लिए प्राथमिक तौर पर विश्वविद्यालय प्रशासन को जिम्मेवार माना. कहा तो यह भी जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विश्वविद्यालय के कुलपति के रवैये से नाराज थे. बाद में विश्वविद्यालय में कई स्तरों पर बदलाव किया गया और चीफ प्रॉक्टर के पद पर पहली बार विश्वविद्यालय के इतिहास में एक महिला शिक्षिका प्रो रोयाना सिंह को नियुक्त किया गया.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय पहले ही कुलपति पद के लिए विज्ञापन निकाल चुका है.

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