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अन्नपूर्णा की चोरी हुई मूर्ति के बारे में कुछ पता नहीं था, जानें फिर कैसे पता चला, और क्यों खास है प्रतिमा

मां अन्नपूर्णा की 100 साल पहले चोरी हुई मूर्ति कनाडा से वापस आ चुकी है. आइए जानते हैं आखिर इस मूर्ति के बारे में किसे पता चला, और क्यों खास है ये प्रतिमा.

Varanasi News: मां अन्नपूर्णा की लगभग 100 साल पहले चोरी हुई मूर्ति कनाडा से वापस आ चुकी है. काशी से चोरी हुई इस प्रतिमा में मां के एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच है. 2019 में भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा ने कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना स्थित मैकेंजी आर्ट गैलरी में प्रतिमा को रखा देखा था. इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी के प्रयास से मूर्ति देश में वापस आई है.

इन मार्गों से निकलेगी यात्रा

माता अन्नपूर्णा की यह मूर्ति आज, 14 नवंबर को वाराणसी में रूट- जौनपुर बॉर्डर, पिंडरा गांव के अंदर से, बाबतपुर, अतुलानंद स्कूल, सर्किट हाउस, चौकाघाट, तेलियाबाग, मडुवाडीह-BLW रोड, लंका मालवीय चौराहा से विभिन्न मार्गों से होते हुए काशी पहुंच रही है. यहां दुर्गाकुंड मन्दिर स्थित माता कुष्मांडा देवी के मंदिर परिसर में मूर्ति को विश्राम के लिए रखा जाएगा.

सीएम योगी करेंगे प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा

15 नवंबर यानी देवोत्थान एकादशी के खास मौके पर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नवीन परिसर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधि-विधान से प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे. मां की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा सीएम योगी विश्वनाथ धाम के ईशान कोण में करेंगे. इससे काशी के संतों में भी अपार हर्ष व्याप्त है, वे इसे संस्कृति के पुनर्जागरण के रूप में देख रहे हैं.

रविवार को वापस आ रही है मूर्ति

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री रामनारायणय द्विवेदी ने बताया कि, ये काशीवासियों का परम सौभाग्य है कि, कई वर्षों पूर्व यह मूर्ति यहां से चोरी हो गयी थी, और हमारे भारत के पीएम के प्रयासों से पुनः वापस आ रही है. उन्होंने कहा कि, शास्त्रों में वर्णन हैं नगर भृमण का उसी तरह यह मूर्ति विभिन्न नगरों का भ्रमण करते हुए अयोध्या होते हुए 14 नवंबर को काशी आ रही है.

मूर्ति का आना संस्कृति का पुर्नजागरण

काशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक माता अन्नपूर्णा की इस मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानन्द सरवस्ती ने भी मूर्ति के आगमन को संस्कृति का पुर्नजागरण बताया.

रिपोर्ट- विपिन सिंह

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