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बरेली में निकाय चुनाव में सपा -बसपा और कांग्रेस की अग्निपरीक्षा, भाजपा को गढ़ बचाने की चुनौती

पिछली बार 2017 में यूपी की 16 नगर निगम में से भाजपा ने 14, और बसपा ने 02 पर जीत दर्ज की थी. मगर, सपा के हाथ एक भी नहीं आई थी. हालांकि, विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा के टिकट पर मेरठ का मेयर बनने वाली सुनीता वर्मा पति के साथ सपा में आ गई थीं. मगर इस बार सपा और बसपा के सामने बड़ी अग्नि परीक्षा है.

Bareilly Nagar Nikay Chunav: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल है.यह चुनाव सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए अग्नि परीक्षा है, जबकि भाजपा को अपना गढ़ बचाने की चुनौती है. पिछली बार 2017 में यूपी की 16 नगर निगम में से भाजपा ने 14, और बसपा ने 02 पर जीत दर्ज की थी. मगर, सपा के हाथ एक भी नहीं आई थी. हालांकि, विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा के टिकट पर मेरठ का मेयर बनने वाली सुनीता वर्मा पति के साथ सपा में आ गई थीं. मगर इस बार सपा और बसपा के सामने बड़ी अग्नि परीक्षा है.

भाजपा ने तेज कर दी हैं तैयारियां

सपा ने विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन इसके बाद भी सत्ता हासिल नहीं कर पाई.निकाय चुनाव में पार्टी के पुराने वोट का भरोसा कायम रखना भी बड़ी चुनौती है.यदि सपा इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर लेती है, तो वह भाजपा के लिए 2024 में मुश्किलें खड़ी करने का दम भर पाएगी. यदि प्रदर्शन पहले की ही तरह बुरा रहा, तो 2024 के लिए उनके विधायकों की जीत की समीक्षा जनता और भाजपा नए सिरे से करने लगेगी क्योंकि विधानसभा चुनाव के बाद सपा विधायकों से लेकर संगठन और मतदाताओं में बगावत है. इसके चलते एमएलसी चुनाव में एक भी सीट हाथ नहीं आई.इसके साथ ही रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा भी हार गए. मतदाताओं का भरोसा बसपा से लगातार टूट रहा है. इसीलिए वोट प्रतिशत में भी कमी आई है. मगर कांग्रेस का पिछले चुनाव में कुछ नहीं था, लेकिन इस बार निकाय चुनाव में टिकट की मांग बढ़ी है. यह उपलब्धि है.मगर, वह मतदाताओं का भरोसा जीतने में कामयाब होते हैं, तो लोकसभा में भी फायदा मिलने की उम्मीद है. हालांकि, भाजपा निकाय चुनाव की तैयारी में काफी मेहनत से जुटी है. वह अपना गढ़ बचाने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है.

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महापौर टिकट पर पार्टियों के अंदर ही मचेगा घमासान

यूपी में नगर निगम की संख्या बढ़कर 16 से 17 हो गई है. मेयर (महापौर) सीटों का आरक्षण होने के बाद ही प्रत्याशियों के चेहरे सामने आएंगे.हालांकि, भाजपा खेमे में आरक्षण लगभग तय होने की बात सामने आ रही है. बरेली और शाहजहांपुर सीट को सुरक्षित, मुरादाबाद, सहरानपुर के पिछड़ी होने की बात सामने आ रही है. 2017 में मथुरा और मेरठ सुरक्षित थी. यह दोनों सामान्य होने की चर्चा है.बरेली मेयर सीट सुरक्षित और सामान्य होने पर सपा से पूर्व विधायक विजयपाल सिंह लड़ेंगे. उनके टिकट को हाईकमान से हरी झंडी मिलने की बात सामने आ रही है. हालांकि, सामान्य होने पर पूर्व मेयर सुप्रिया ऐरन और डॉक्टर अनीस बेग भी दावेदार हैं. मेरठ में आरक्षण ने यदि पूरी तरह से रास्ता बंद नहीं किया तो योगेश वर्मा अंत तक इस पद के लिए आजमाइश करेंगे. भाजपा सामान्य होने पर वर्तमान मेयर उमेश गौतम पर दांव लगाएगी. मगर, सुरक्षित होने पर मनोज थपलियाल का मजबूत नाम है.

टिकट दिलाने के लिए पैंतरेबाजी

सपा कुछ सीट पर रालोद से गठबंधन करने की भी तैयारी में है. रालोद के नेता भी अपने करीबी को सपा से टिकट दिलाने के लिए पैंतरेबाजी करेंगे. इसके साथ ही सभी दलों में टिकट के लिए जोड़ तोड़ शुरू हो गई है.

आरक्षण तय करेगा प्रत्याशियों का भविष्य

सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ ही भाजपा प्रत्याशियों का भविष्य आरक्षण तय करेगा. 2017 में सुनीता वर्मा के लिए दलित-मुस्लिम समीकरण जिताऊ बना था, तब उस समय पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी का भी सुनीता की जीत में योगदान माना गया था. बरेली में सपा ने डॉक्टर आइएस तोमर को प्रत्याशी बनाया था. उनका जाट वोट बरेली में नहीं है. मगर, मुस्लिम के साथ कोई और वोट नहीं के सके. इसलिए हार का सामना करना पड़ा.

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रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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