Bareilly News: फाजिल-ए-बरेलवी इमाम अहमद रजा खां (आला हजरत) ने देश और दुनिया में दीनी रोशनी फैलाई. मगर वह सच्चे देशभक्त भी थे. अंग्रेजों से उनको काफी नफरत थी. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जेहाद की. अपने घोड़े जंग-ए-आजादी की लड़ाई लड़ने वाले सिपाहियों को देते थे. यह सिपाही आपकी हवेली में ही ठहरते थे. उन्होंने मल्लिका विक्टोरिया के टिकट को कभी सीधा नहीं लगाया. आला हजरत विक्टोरिया का अपमान करने के मसकद से टिकट को खत (लेटर) पर हमेशा उल्टा चिपकाते थे. इसलिए लार्ड हेस्टिंग जनरल ने आला हजरत का सर कलम करने का इनाम पांच सौ रुपये रखा था. आला हजरत के 104 वें उर्स का बुधवार से आगाज हो रहा है.
आला हजरत की पैदाइश 1857 की क्रांति से एक वर्ष पहले यानी 14 जून 1856 ई. को बरेली के मोहल्ला जसौली में हुई. आपके पूर्वज कंधार (अफगानिस्तान) से आएं थे. इतिहासकारों की मानें तो मुगलिया शासन में आला हजरत के खानदान के बुजुर्ग हिंदुस्तान आए थे. आपके दादा हुजूर मौलाना रजा अली खां किसी जंग के सिलसिले में रूहेलखंड आए. इसके बाद यहीं बस गए थे. आला हजरत के वालिद मुफ्ती नकी अली खां भी अपने वालिद की तरह अंग्रेजों की हुकूमत से सख्त नफरत करते थे. कई बार अंग्रेजों ने आपको गिरफ्तार करने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई. उन्हें जैसे ही अंग्रेजी फौज के आने की भनक लगती थी, वह मस्जिद में चले जाते थे. वहां अंग्रेज जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते थे. आला हजरत ने अंग्रेजों के खिलाफ फतवे भी जारी किए.
Also Read: Bareilly News: उर्स-ए-रज़वी का ऐलान, 21 को परचम कुशाई से आगाज़, 23 को आला हज़रत के कुल से होगा उर्स संपन्न
अंग्रेज उस वक्त समय समय पर तमाशे और कार्यक्रम आयोजित करते थे.मगर, आला हजरत ने तकरीर कर मुसलमानों को आला हजरत ने जाने से रोका.आपका कहना था कि अंग्रेजों ने हमारे मुल्क के साथ धोखा किया.फिरंगी तिजारत के बहाने आकर हाकिम बन गए. हमारे मुल्क के लोगों पर जुल्म ढहा रहे हैं.
आला हजरत अंग्रेजी दौर में कोर्ट कचहरी जाने के सख्त विरोधी थे.उन्होंने हमेशा मुकदमों में करोड़ों रुपये स्टांप पर खर्च होने का विरोध किया.आला हजरत की कई किताबें इस्लामी मसलों का हल हैं. वह मुसलमानों में झगड़ा होने पर आपस में फैसला करा देते थे.
Also Read: बरेली में उर्स-ए-रजवी को लेकर 21 से 23 सितंबर तक डायवर्जन, शहर आने से पहले पढ़ लें खबर…
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद