लखनऊ : अपनी टीम के कई नेताओं को सपा से बाहर का रास्ता दिखाये जाने के परिणामों को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जाने के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज कहा कि ‘समाजवादी परिवार’ में कोई मनमुटाव नहीं है और वह पहले जैसा एकजुट था, अब भी वैसा ही है.अखिलेश ने राज्य मंत्रिमण्डल की महत्वपूर्ण बैठक के बाद संवाददाताओं से संक्षिप्त बातचीत में कहा ‘‘तमाम चर्चाएं हुई हैं, ना केवल प्रदेश में बल्कि देश में भी. मैं जनता, प्रेस, और पार्टी नेताओं तथा पदाधिकारियों के सामने कहूंगा कि यह समाजवादी परिवार जैसा था, वैसा ही है और रहेगा.’
उन्होंने कहा ‘‘आने वाले समय में हमारे सामने कई चुनौतियां हैं. हम समाजवादी परिवार के लोग हैं. कुछ सांप्रदायिक ताकतें हैं, जो घुसना चाहती हैं किसी रास्ते से. हम सब मिलकर राज्य को विकास के रास्ते पर ले जाकर काम करेंगे. आगामी चुनाव के बाद सपा की फिर से सरकार बनवानी है.’ अखिलेश ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गये निर्णयों की भी संक्षिप्त जानकारी दी, मगर वह मीडिया के सवालों से बचते नजर आये. इस दौरान उनके चाचा वरिष्ठ काबीना मंत्री शिवपाल यादव भी मुख्यमंत्री के साथ खड़े थे.
उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने उच्च न्यायालय में वकालत करने वाले सरकारी वकीलों की फीस और भत्ते बढ़ाने का निर्णय लिया है. साथ ही आने वाले समय में जिला स्तर पर सरकारी अधिवक्ताओं के भी ये लाभ उसी अनुपात में बढाये जाएंगे.
अखिलेश ने बताया कि बैठक में विशिष्ट शिल्पकारों की पेंशन एक हजार रुपये से बढ़ाकर दो हजार रुपये करने तथा शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में दाखिला पाये बच्चों के लिए बजट में इंतजाम करने का भी फैसला किया गया है.
मुख्यमंत्री के करीबी तीन विधान परिषद सदस्यों समेत सात युवा नेताओं को कल पार्टी से निकालने के बाद अखिलेश से तल्खी बढने की आशंकाओं के बीच सपा के प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ काबीना मंत्री शिवपाल यादव भी मंत्रिपरिषद की बैठक में शामिल हुए.
सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह यादव, आनन्द भदौरिया तथा संजय लाठर और मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव दुबे एवं प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद एबाद, युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष बृजेश यादव और समाजवादी छात्रसभा के प्रान्तीय अध्यक्ष दिग्विजय सिंह देव को कल पार्टी से निकाल दिया था.
इन सभी पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने, पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने तथा अनुशासनहीन आचरण के आरोप लगाये गये थे.सुनील सिंह यादव, आनन्द भदौरिया और संजय लाठर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं. इस बडी कार्रवाई के बाद शिवपाल ने अखिलेश से मुलाकात भी की थी.