लखनउ: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और ‘नेताजी’ सुभाष चन्द्र बोस के प्रति अपमानजनक टिप्पणी को लेकर आलोचनाओं से घिरे उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू के खिलाफ आज उत्तर प्रदेश विधानसभा में सर्वसम्मति से निन्दा प्रस्ताव पारित किया गया.
पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरु होते ही कांग्रेस सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया. संसदीय कार्य मंत्री आजम खां ने कहा कि राष्ट्रपिता के विरद्ध टिप्पणी करना देश का अपमान है और अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो यह लोकतंत्र के खिलाफ होगा.
सदन में बसपा और विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य, भाजपा विधानमण्डल दल के नेता सुरेश कुमार खन्ना, कांग्रेस विधानमण्डल दल के नेता प्रदीप माथुर तथा राष्ट्रीय लोकदल के नेता दलवीर सिंह ने आजम खां का समर्थन करते हुए कहा कि इस मामले में काटजू के खिलाफ सर्वसम्मति से निन्दा प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिये.
मालूम हो कि काटजू ने अपने एक ब्लॉग में महात्मा गांधी को ‘ब्रितानी एजेंट’ तथा सुभाष चन्द्र बोस को ‘जापानी एजेंट’ बताया था. मौर्य ने कहा कि महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के खिलाफ टिप्पणी पूरे राष्ट्र का अपमान है और यह काटजू की ‘ओछी मानसिकता’ को दर्शाता है.
उन्होंने आरोप लगाया कि काटजू ने वह टिप्पणी किसी आयोग का अध्यक्ष पद हासिल करने के लिये की है.प्रश्नकाल जारी होने के मद्देनजर विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने आजम खां से एक प्रस्ताव तैयार करके उसे बाद में सदन में पेश करने को कहा. साथ ही कहा कि तब तक सदन की कार्यवाही निर्धारित कार्यक्रम के तहत संचालित होगी.
बाद में आजम खां ने सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा ‘‘वह टिप्पणी कोई मकसद पूरा करने के लिये की गयी है. यह अफसोस की बात है कि ऐसे आदमी की पहचान इतनी देर से हो सकी. मैं सदन में निंदा प्रस्ताव पेश करता हूं.’’ दलगत भावना से उपर उठकर सदन में मौजूद सभी सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए उसे ध्वनिमत से पारित कर दिया. इस दौरान कुछ सदस्यों ने काटजू के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग भी की.