लखनऊ:यूपी की राजधानी लखनऊ से फिल्म अभिनेता जावेद जाफरी को टिकट देकर आम आदमी पार्टी ने भाजपा को जाने-अनजाने राहत पहुंचायी है. असल में लखनऊ में साढ़े चार लाख मुसलिम मतदाता हैं. पर, इतनी बड़ी मतदाता संख्या होने के बावजूद सपा, बसपा या कांग्रेस ने मुसलिम प्रत्याशी नहीं उतारा. सब इस उम्मीद में हैं कि खुद को औरों से अधिक भाजपा विरोधी साबित कर अधिक से अधिक मुसलिम मतों को अपनी ओर खींच लेंगे और मुख्य लड़ाई में आ जायेंगे. ‘आप’ ने जावेद जाफरी को टिकट देकर मुस्लिम मतों का विभाजन सुनिश्चित कर दिया है. जाहिर है मुसलिम मतों के बंटवारे से अंतत: राजनाथ की ही राह आसान होगी.
केजरी, शास्त्री के बाद आये जाफरी
अन्ना आंदोलन की हलचलों से हरकत में रहने वाले शहर लखनऊ में केजरीवाल का क्र ेज देखा गया था. स्कूल-कॉलेजों से लेकर निजी प्रतिष्ठानों तक चर्चाओं का बाजार गर्म रहता था. स्वाभाविक है कि लोकसभा चुनाव में टिकट के दावेदार भी बड़ी संख्या में सामने आये. पर, सर्वाधिक चर्चा में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री के पोते आदर्श शास्त्री के नाम की थी. शहर में सवा लाख कायस्थ मतों के कारण भी यह नाम लोगों को मुफीद लग रहा था. पर, मोदी के लखनऊ से मैदान में आने की चर्चाओं के बीच यह तय हो गया कि मोदी के खिलाफ केजरीवाल ही लड़ेंगे. फिर, जब मोदी वाराणसी चले गये, तो केजरीवाल की जगह जावेद जाफरी को राजनाथ से लड़ने भेज दिया गया.
जावेद के लिए हैं कई चुनौतियां
लखनऊ की राजनीति पर नजदीकी नजर रखने वाले विेषकों का कहना है कि सिर्फजन्मना मुसलिम होने के नाते जावेद जाफरी मुसलमानों की पहली पसंद नहीं हो सकते हैं. लखनऊ का अधिकतर मुसलिम वोट वहीं जायेगा, जो भाजपा के सामने अपेक्षाकृत अधिक मजबूती से लड़ता दिखेगा. इस चुनाव में मुसलमान ग्लैमर या तड़क-भड़क के आधार पर वोट शायद ही करे. हां, आम आदमी पार्टी का थोड़ा नुकसान हो सकता है क्योंकि इस पार्टी में ज्यादातर एक्टीविस्ट मिजाज के लोग हैं, ऐसे लोगों की कसौटी पर अभिनेता जावेद जाफरी शायद ही सही उतर पायें. वहीं, जावेद जाफरी का कहना है कि मुङो हल्का समझने की भूल कोई न करे, मैं जो भी काम करता हूं पूरी शिद्दत से करता हूं.