बाबूलाल मरांडी से बेहतर बाहरी लॉबी के विषय में कौन जान सकता है
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सीएनटी में छेड़छाड़ कॉरपोरेट व माइनिंग लॉबी के दबाव में: अनूप
बाबूलाल मरांडी से बेहतर बाहरी लॉबी के विषय में कौन जान सकता है चाईबासा : झारखंड में यदि बाहरी लोगों की लॉबी का दबाव नहीं होता, तो राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी नहीं, बल्कि कड़िया मुंडा होते. उक्त बातें भाजपा के प्रदेश सदस्य व जिले के वरीय भाजपा नेता अनूप सुलतानिया ने कहीं. उन्होंने […]
चाईबासा : झारखंड में यदि बाहरी लोगों की लॉबी का दबाव नहीं होता, तो राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी नहीं, बल्कि कड़िया मुंडा होते. उक्त बातें भाजपा के प्रदेश सदस्य व जिले के वरीय भाजपा नेता अनूप सुलतानिया
ने कहीं. उन्होंने कहा कि झारखंड में शुरू से कॉरपोरेट लॉबी, माइनिंग लॉबी, भ्रष्ट अफसरों की लॉबी और बाहरी नेताओं की लॉबी का दबाव है. यही वजह है कि 16 वर्षों बाद भी झारखंड अपने पांव पर खड़ा नहीं हो पाया है. बाबूलाल मरांडी तीन वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे, ऐसे में उन्हें अच्छी तरह जानकारी होगी कि राज्य को कहां की और कौन लॉबी चला रही है. यहां के बड़े-बड़े ठेकों पर बाहरी ठेकेदार, सरकारी सप्लाई में कोलकाता, पटना और दिल्ली के लोगों का वर्चस्व है. रांची समेत राज्य के किसी बड़े शहर के बिजनेसमैन या सप्लायर्स से पूछ लीजिए. राज्य के बाहर का कोई व्यक्ति यहां आकर राज्यसभा जैसे उच्च सदन के लिए चुना जाता है.
इसलिए बाबूलाल मरांडी का अर्जुन मुंडा से यह प्रश्न करना बिल्कुल अनुचित है कि वे खुलासा करें कि सीएनटी एक्ट में बदलाव के लिए किस लॉबी का दबाव उनपर था. स्वाभाविक है कि यह दबाव कॉरपोरेट और माइनिंग लॉबी का होगा, जिनकी निगाहें यहां के खनिज, जमीन और जल पर है. जो दबाव बाबूलाल मरांडी ने अपने मुख्यमंत्री के समय झेला था, वही दबाव अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन और मधु कोड़ा झेल चुके हैं.
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