चक्रधरपुर : चाइनीज लाइटिंग और मोम की तड़क-भड़क से दीपावली में मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हारों की जिंदगी धुंधली हो रही है. लोग अब तड़क-भड़क के कारण मिट्टी के दीये सिर्फ नाम के लिए उपयोग कर रहे हैं. घरों को रोशन करने के लिए अधिकांश चीन के बने लाइटों का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि हाल के दिनों में चीन के भारत विरोधी फैसलों के विरोध में देश के कई संगठनों द्वारा चाइनीज सामानों का बहिष्कार करने के आह्वान पर कुम्हारों में अच्छे दिन आने की उम्मीद जगी है.
इन्हीं उम्मीदों पर कुम्हारों के बस्ती में रात-दिन चाक का पहिया रफ्तार पकड़े हुए है. गंगा मिट्टी से बनी लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को कुम्हार अंतिम रूप दे रहे हैं. कुम्हारपट्टी के मुरानी प्रजापति, दीपक प्रजापति, कन्हैया लाल प्रजापति, गणेश प्रजापति, रंजीत प्रजापति, दिलीप प्रजापति, प्रकाश प्रजापति, नौखेलाल प्रजापति, राजेंद्र प्रजापति, महेंद्र प्रजापति, रमेश प्रजापति, बबलू प्रजापति, घनश्याम प्रजापति, राजू प्रजापति, ननका प्रजापति,
उमेश प्रजापति, ललन प्रजापति आदि ने कहा कि दीपावली को लेकर काफी उत्साहित हैं. उन्होंने बताया कि इस बार परंपरागत मिट्टी के दीपक से ही दीवाली मनायी जायेगी और चीनी मिट्टी की मूर्ति की जगह गंगा मिट्टी की लक्ष्मी-गणेश की ही पूजा होगी. फलस्वरूप मिट्टी के दीये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की मांग बढ़ेगी. उन्होंने बताया कि भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक किये जाने के बाद चीन पाकिस्तान का अप्रत्यक्ष साथ दे रहा है, उसका असर चाइनीज बाजार में भी पड़ने लगा है. उन्होंने कहा कि सामाजिक संगठनों व सोशल मीडिया में लगातार चाइनीज उत्पादों का बहिष्कार हो रहा है और चाइनीज बिजली के झालरों की जगह मिट्टी के दीये दीपावली में जलाने का अनुरोध किया जा रहा है.