चक्रधरपुर : आंध्रा एसोसिएशन झारखंड द्वारा चक्रधरपुर में आयोजित 33वां पंचाहनिका वार्षिक ब्रह्मोत्सव के दूसरे दिन रविवार को भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में सुदर्शन हवन का आयोजन किया गया. इसमें विभिन्न राज्यों से आये दंपतियों ने हिस्सा लिया और सुख, शांति और समृद्धि की कामना की.
देवस्थान के पंडित श्री अनंतनारायनचार्युलु आचार्या के नेतृत्व में पंडितों द्वारा मंत्रोच्चारण कर हवन कराया गया. इस मंत्र को दंपतियों ने दोहराया. वहीं हवन कुंड में हवन सामग्री घी, फल व पुष्प अर्पित की. यह हवन सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक चला. इस दौरान विजयनागरम के अप्पा राव व पार्टी की पारंपरिक शहनाई से पूरा शहर गूंजता रहा.
शांति व्यवस्था बनाने में पूजा कमेटी के अध्यक्ष केकेटी राव, सचिव वीवीआर मूर्ति, एम कृष्णा, एस रवि, जे डोरा, के श्रीनिवास, के रमण, आर डिक्की एवं स्काउट व गाइडस के कैडेटों का सराहनीय योगदान रहा. मना वसंतोत्सव :वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर में वसंतोत्सव मनाया गया. इस दौरान मूर्तियों को झूला में झुलाया गया.
साथ ही पंडितों द्वारा विशेष मंत्रोच्चारण कर पूजन अनुष्ठान को पूरा किया गया. इस दौरान पूजा कमेटी व सेवक दल ने मंदिर परिसर में एक हजार एक दीये जलाये.
पंडितों के मुताबिक यह पूजन विधि तिरुपति बालाजी में अपनायी जाती है. इस परंपरा को भी मंदिर में निभाया गया, ताकि शहर के लोगों में सुख व शांति बनी रहे.
ब्रह्मोत्सव देता है भाईचारगी का संदेश
ब्रह्मोत्सव से शांति मिलती है, वहीं आपस में एक दूसरे को भी मिलाता है. हर साल सभी साथी मिलते हैं और खुशियां बांटते हैं. उक्त बातें भोपाल के एमएलके राव, काकिनारा के लक्ष्मीनारायण, विजयनगरम के उमा महेश्वर राव, हैदराबाद के पद्मजा व विजयनागरम केपी सत्यानारायण के परिवार के सदस्यों ने कही. ये सभी परिवार सुदर्शन हवन में हिस्सा लेने आये है.
कुमकुम पूजा आज
ब्रह्मोत्सव का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान कुमकुम पूजा को माना जाता है. इस पूजा में शामिल होने के लिए श्रद्धालु दूर दराज से आते हैं. महिलाएं कुमकुम पूजा करती हैं. बताया जाता है कि कुमकुम पूजा से घर में लक्ष्मी आती है, जबकि रात को उत्सव मूर्ति को नगर भ्रमण कराया जायेगा.
बनी देवस्थान की मिठाई
परंपरा के मुताबिक देवस्थान की मिठाई ही वेंकटेश्वर बालाजी को चढ़ायी गयी. इसके लिए देवस्थान से आये कारिगर ने चक्रधरपुर में मिठाई तैयार की. इन मिठाइयों को भगवान को चढ़ाने के बाद श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया गया. प्रसाद लेने के लिए श्रद्धालुअों में होड़ रही.
शंकराचार्य ने रखी थी मंदिर की नींव : बीआरके राव
मंदिर के संस्थापक वालटेयर के बीआरके राव ने कहा कि वर्ष 1983 में वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर की स्थापना हुई थी. इसकी नींव द्वारका के जगदगुरु शंकराचार्य ने रखी थी. उन्होंने बताया कि वे चक्रधरपुर में मुख्य टिकट निरीक्षण के पदपर कार्यरत थे. सेवानिवृत्त के बाद वालटेयर में बस गये हैं.
हर साल उत्साह के साथ ब्रह्मोत्सव में परिवार समेत पूजा करने चक्रधरपुर आते हैं. एक सप्ताह तक पूजा की तमाम कार्यों का मार्गदर्शन करते हैं.
हर मनोकामना पूरी होती है : एमके राव
हैदराबाद के एमके राव ने कहा कि स्थापना काल से वेंकटेश्वर मंदिर में सेवा कर रहे हैं, बालाजी मंदिर आने से मन को शांति मिलती है. यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है. उन्होंने बताया कि वह कार्मिक विभाग में कार्यालय निरीक्षक थे. सेवानिवृत्त के बाद हैदराबाद में रह रहे हैं.