चक्रधरपुर : मुसलमानों का त्योहार शब-ए-मेराज गुरुवार की रात में मनाया जायेगा. पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाह अलैह व सल्लम की अल्लाह से मुलाकात की रात को शब-ए-मेराज कहते हैं. मेराज का अर्थ मुलाकात, बुलंदी आदि है. धार्मिक ग्रंथ हदीस व कुरआन में इस बात का जिक्र है कि रसूल अल्लाह मसजिद-ए-नबवी में रात के वक्त आराम फरमा रहे थे. फरिश्ता जिब्रैल अमीन बुराक (सत्तर हजार फरिश्तों द्वारा खींची जाने वाली जन्नती सवारी) की सवारी लेकर आये और रसूल अल्लाह के अंगूठे को छू कर नींद से जगाया फिर अल्लाह का फरमान सुनाया.
आप (स.) को अल्लाह से मुलाकात का न्योता दिया गया. आप (स.) बुराक पर सवार होकर आसमान में गये. जहां अल्लाह से मुलाकात हुई. जन्नत व दोजख का दीदार किया. जन्नत में नेक लोगों को आराम फरमाते और दोजख में बूरे लोगों को सजा पाते देखे. आसमान से ही जमीन का दीदार भी किया. इसी रात पांच वक्त की नमाज भी फर्ज की गयी. संसार को चलाने और इसलाम मजहब को मानने के कई तरीके बताये गये.
फिर रात ही में आप (स.) वापस भी लौट आये. इस्लाम धर्म में इस मेराज की रात की बड़ी अहमियत है. प्रत्येक वर्ष रज्जब महीने की 27वीं तारीख को शब-ए-मेराज आती है. इस रात की अजमत का ख्याल करते हुए लोग पुरी रात जाग कर अल्लाह की इबादत करते हैं. कुरआन की तिलावत की जाती है, नफिल नमाजें पढ़ी जाती हैं. मुसलमान एक या दो नफिल रोजे भी रखते हैं. शब-ए-मेराज की तैयारी भी मुसलमानों ने कर रखा है. मर्द मसजिदों में और औरतें घरों में रात जागने की तैयारी कर रही हैं.