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रेलवे के पास मात्र 45 दिन का पानी

चक्रधरपुर : चक्रधरपुर के भू-जलस्तर निरंतर घटने से कुआं, नदी व तलाब सूखने के कगार पर है. इससे क्षेत्र में लोग जल समस्या से जूझ रहे हैं. गर्मी के दस्तक देते ही जल संकट की भयावह स्थिति से लोग चिंतित हैं. वहीं रेलवे के जलापूर्ति पर भी असर पड़ रहा है. हालांकि रेलवे प्रबंधन ने […]

चक्रधरपुर : चक्रधरपुर के भू-जलस्तर निरंतर घटने से कुआं, नदी व तलाब सूखने के कगार पर है. इससे क्षेत्र में लोग जल समस्या से जूझ रहे हैं. गर्मी के दस्तक देते ही जल संकट की भयावह स्थिति से लोग चिंतित हैं. वहीं रेलवे के जलापूर्ति पर भी असर पड़ रहा है. हालांकि रेलवे प्रबंधन ने अब तक रेलवे कॉलोनियों की जलापूर्ति में कटौती नहीं की है.

रेलवे की मानें तो जल समस्या से निपटने के लिये रेलवे वैकल्पिक तौर पर डीप बोरिंग की है, जो फिलहाल सक्रीय है, भू-जलस्तर घटने से प्रभावित नहीं हुआ है. संजय नदी (पंपरोड डैम) में क्षमता के अनुरुप पानी संचित है. वहीं दूसरी ओर क्षेत्र का अधिकांश चापाकल दम तोड़ चुके हैं और कुआं कूड़ेदान बन गया है. कॉलोनीवासी एकमात्र जलापूर्ति के भरोसे हैं. जिसके फेल होने से स्थिति काफी भयावह हो सकती है.
डीप बोरिंग है वैकल्पिक व्यवस्था
गर्मी के आते ही रेलवे प्रबंधन जलापूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने में जुटा है. रेलवे ने पानी की वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर क्षेत्र में डीप बोरिंग किया है. दम तोड़ चुके इस डीप बोरिंग की नये सिरे से मरम्मत हो रही है.
रेलवे प्रबंधन जलापूर्ति के लिये डैम व डीप बोरिंग दोनों से पानी आपूर्ति कर रहा है. इसमें किसी तरह की कोई कटौती नहीं की गयी है. रेलवे सूत्रों की मानें तो फिल्टर प्लांट पर जलशुद्ध करने का दबाब बढ़ रहा है. चक्रधरपुर के जलशुद्ध विभाग को भी सचेत कर दिया गया है कि वह अापातकालीन स्थिति के लिये तैयार रहे.

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