किरीबुरू : झारखंड सरकार ने राज्य की दस खादानों को बंद करने की घोषणा कर दी तथा ग्यारह खादानों को बंद करने की दिशा में अग्रसर है. यह दुखद खबर है. मैं चाहूंगा कि ग्यारह खादानों के बारे में राज्य सरकार सकारात्मक विचार करे.
उक्त बातें बीपी केरकेट्टा (वरीये सहायक कंट्रोलर ऑफ माइंस, आईबीएम, कोलकाता) ने 16वां खान पर्यावरण व खनिज संरक्षण सप्ताह पर आयोजित बैठक में कही. उन्होंने कहा कि झारखंड में वर्ष 2012-13 में पंद्रह खादानें चालू स्थिति में थी. जिससे 19.19 मिलियन टन उत्पादन होता था. वर्ष 2013-14 में 19 खादानों में 25.07, वर्ष 2014-15 में 12 खादानों में 18.04 मिलियन टन उत्पादन हुआ.
अर्थात सारे मिनरल्स का उत्पादन में भारी कमी आयी है, जो दुखद है. खादानों के बंद होने व उत्पादन में कमी की वजह से लगभग एक लाख मजदूरों को बोनस नहीं मिला एवं हजारों बेरोजगार हुए. गांव व शहरों के विकास पर भी असर पड़ा है. बैठक में भी काफी कम खादान प्रबंधनों की भागीदारी इसी का नतीजा है. फिर भी हमें एमईएमसी एवं खान सुरक्षा सप्ताह उत्साह के साथ मनाने का प्रयास हो.
यह बैठक ऑफिसर क्लब किरीबुरू में सेल की किरीबुरू-मेघाहातुबुरू खादान के तत्वावधान तथा आईबीएम की देखरेख में चली. इस बैठक में पांच ग्रुपों की 30 खादानों के प्रतिनिधियों को शामिल होना था. लेकिन मात्र 12 खादानों जिसमें सेल की किरीबुरू, मेघाहातुबुरू, गुवा, ऊषा मार्टिन, रूंगटा, बालाजी, सारदा कॉपर माइंस आदि के प्रतिनिधि ही भाग ले सकें. कार्यक्रम में स्वागत भाषण के ईमा राजू (महाप्रबंधक किरीबुरू) व धन्यवाद ज्ञापन राम सिंह ने किया.
स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये. इस बैठक में मुख्य रूप से जे महंता, डीके चौधरी (महासचिव), परवेज आलम (संयुक्त सचिव), राहुल सिन्हा समेत अन्य मौजूद थे. खान पर्यावरण व खनिज संरक्षण सप्ताह 1-6 फरवरी तक सभी खादानों में मनाने का निर्णय लिया गया. जबकि फाइनल कार्यक्रम कोलकता में होगा. जिसकी तिथि व जगह तय कर सभी खादानों को बाद में बतायी जायेगी.