चंडीगढ़ में बचपन में ही पिता से बिछड़ गयी थी
यहां-वहां रहकर काटे दस साल
तांतनगर के इलिगढ़ा में मिले पिता चिड़िया जोंको
चाईबासा : तांतनगर प्रखंड के इलीगढ़ा निवासी चिड़िया जोंको दस साल पहले रोजगार की तलाश में चंडीगढ़ गये थे.तब, चिड़िया की पत्नी का देहांत हो गया था. अपनी चार साल की बेटी नाडिया जोंको को अपने साथ लेकर चिड़िया जोंको चंडीगढ़ लेकर चला गया था. एक दिन चिड़िया जोंको अपनी बेटी घर में छोड़कर ड्यूटी करने चला गया. तभी नाडिया भटककर घर से कहीं और चली गयी. फिर वापस नहीं आयी.
तब, नाडिया लगभग चार साल की ही थी. उसे तब न तो अपने पिता का नाम पता था और न ही अपने गांव का नाम. बस, वो इतना ही बता पा रही थी कि उसके घर के पास एक तालाब था, एक स्कूल था और कुछ नहीं. इस बीच नाडिया चंडीगढ़ की चाइल्ड लाइन में रही. रंग तथा उसकी भाषा के आधार पर बाद में उसे रांची भेज दिया गया. रांची के चाइल्ड लाइन में कुछ दिन रहने के बाद नाडिया के परिजनों की तलाश शुरू हुई.
जोंको टाइटल होने के कारण उसे पश्चिमी सिंहभूम भेजा गया. नाडिया के बताये जगह पर पश्चिमी सिंहभूम बाल कल्याण समिति की टीम उसे लेकर कुछ दिन पहले तांतनगर गयी. पर, सफलता हाथ नहीं लगी. इसके बाद एक बार फिर बाल कल्याण की टीम ने प्रयास शुरू किया और तांतनगर के इलिगढ़ा नाडिया को लेकर गये. जहां, उसकी पहचान चिड़िया जोंको के बेटी के रूप में की गयी. बेटी को दस साल बाद देखते ही पिता चिड़िया जोंको के आंखों से आंसू आ गये.
यह कार्य ऑपरेशन मुस्कान के तहत बाल कल्याण समिति की टीम ने किया. टीम में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष विकास दोदराजका, संजय बिरुआ, विमला हेंब्रम, सुमीत विश्वकर्मा, श्रवणी सिन्हा, कृष्णा तिवारी, संध्या, सुनील, नीतू साहू आदि उपस्थित थे.