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आदिवासी संगठनों ने एक जनवरी काला दिवस के रूप में मनाया
जगन्नाथपुर : एक जनवरी को जगन्नाथपुर के शिव मंदिर के पास रितुइ गोन्डाई तालाब पर आदिवासियों के विभिन्न संगठन के लोगों द्वारा काला दिवस मनाया गया. इस दौरान आदिवासी हो समाज के लागों ने वीर योद्घा जोरोंग जीड, रितुई गोन्डाई, नारा हो, पोटो हो, बाढ़ो हो , पन्डुवा हो और बढ़ाय हो को श्रद्घांजलि दी. […]
जगन्नाथपुर : एक जनवरी को जगन्नाथपुर के शिव मंदिर के पास रितुइ गोन्डाई तालाब पर आदिवासियों के विभिन्न संगठन के लोगों द्वारा काला दिवस मनाया गया. इस दौरान आदिवासी हो समाज के लागों ने वीर योद्घा जोरोंग जीड, रितुई गोन्डाई, नारा हो, पोटो हो, बाढ़ो हो , पन्डुवा हो और बढ़ाय हो को श्रद्घांजलि दी. 22 दिउरियों द्वारा शहीदों का पूजा-अर्चना किया गया.
मौके पर आदिवासी हो समाज महासभा के पूर्व महासचिव मुकेश विरूवा ने कहा कि एक जनवरी आदिवासियों के लिए नया वर्ष नही है. यह अंग्रेजो का नया साल है. आदिवासियों का नया वर्ष 23 नवम्बर को मनाया जाता है. एक जनवरी को कोल विद्रोह के समय आदिवासियों को फांसी पर चढ़ाया गया था. इस दिन खरसावां में असंख्य आदिवासियों को गोलियों से भूना गया था. वर्ष 2006 जनवरी में 14 आदिवासियों को ओड़िशा के कलिंगानगर में गोली से मार डाला गया था.
उन्होंने बताया कि कोई भी समाज अपने लोगों के शोक का दिन खुशी से नहीं मनाता. आने वाले दो वर्षों में काला दिवस को वृहत रूप से मनाया जायेगा. मौके पर डॉ दासराम बारदा, दिउरी कृष्णा बोदरा, तिरिल तिरिया, सुदर्शन लागुरी, मनोज बोबोंगा, संजय जेराई, मनोज तुबिड, राजु लागुरी, मनोज लागुरी, मंगल सिंह बोबोंगा, विपिन हेम्ब्रम समेत सैकड़ो लोग उपस्थित थे.
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