जैंतगढ़ : जैंतगढ़ का सबसे विशाल, सबसे ऊंचा, सबसे भव्य और सबसे शानदार इमारत है जामा मसजिद. जैंतगढ़ मुख्य द्वार पर अवस्थित यह मसजिद पांच किमी की दूरी से भी दिखायी पड़ता है. मसजिद सफेद संगमरमर पत्थर से बना है. मसजिद में एक ही मीनार है, जिसमें तीन स्टेप हैं. मसजिद दो मंजिला है.
पीछे की ओर गहराई होने के कारण तीन मंजिला प्रतीत होती है. जमीन से गुंबद की ऊंचाई लगभग 100 फीट है. इसी मसजिद में एक भाग औरतों के लिये अलग से है. पुरानी एसबेसटस की बनी मसजिद को तोड़कर इसका निर्माण किया गया. मसजिद की बुनियाद 27 अप्रैल 1997 को मौलाना समी जाफरी के हाथों हुआ. मसजिद बनने में पांच वर्ष और छह दिन का समय लगा.
मसजिद तामीरी कमेटी जैंतगढ़ की निगरानी में बनी. मसजिद ढलाई में चंपुआ, गोड्डा, झुंपुरा, क्योंझर, जगन्नाथपुर, मौलानगर के लोगों ने श्रमदान किया. मसजिद में दोनों मंजिलों में एक हजार व औरतों में 500 नमाजियों की क्षमता है. जैंतगढ़ की दो हजार की आबादी इसमें नमाज अदा करती है. मसजिद में शयन, बरामदाह, बजु खाना, शौचालय आदि की उत्तम व्यवस्था है.