नोवामुंडी : गांव की वृद्ध महिलाएं अपने दम पर ही सब्जी बेचकर स्वाबलंबी बन रही हैं. गांव के चौक-चौराहों पर शाम से पूर्व ये बुजुर्ग महिलाएं दुकानें सजा लेती हैं. जमीन पर प्लास्टिक बिछाकर उसी पर खुले आसमान के नीचे सब्जियां रखकर बिक्री करती हैं. बुढ़ापे में भी उक्त महिलाओं का हौसला खोया नहीं है.
यह अलग बात है कि बुढ़ापे में भी परिजनों के सहारा नहीं बनने के कारण मेहनत कर वे जवानों को भी पछाड़ रही हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण कोटगढ़ की सुंकाति देवी (70) है. हर दिन तीन घंटे काम कर वह 200 से 300 सौ रुपये अर्जित कर रही हैं. वे उधार में लेकर सब्जियां बेचती हैं तथा मुनाफा रख, उधार के पैसे लौटा देती हैं.
ये महिला पढ़ी लिखी नहीं हैं. वे बताती हैं कि पांच हजार रुपये लोन लेने के लिए एसबीआइ गयी थी, लेकिन कर्मी ने यह कहकर लौटा दिया कि अंगूठा छाप को लोन नहीं मिलेगा. हस्ताक्षर करना सीखोगी तभी लोन देंगें.जिससे सुकांती की हौसला नहीं टूटी. वे तीन सौ रूपये की पूंजी लगाकर तीन सौ लाभ कमाओ की तर्ज पर काम करती है. आलम यह कि सुकांति की कमाई की बदौलत पांच परिवारों का भरण-पोषण होता है.