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मागे पर्व के लिए पूजा नहीं करने पर देउरी का बहिष्कार, हुक्का-पानी बंद

चक्रधरपुर . मागुरदा गांव स्थित गांधी चबूतरा पर हुई ग्रामसभा ग्रामीणों ने देउरी के परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत, उठना-बैठना, लेन-देन व स्नान घाट में नहाना तक किया बंद ग्रामीणों ने निर्णय का उल्लंघन करने पर 10 हजार रुपये एवं बकरा दंड लेने का लिया निर्णय चक्रधरपुर : हतनातोड़ांग पंचायत में मागे पर्व के […]

चक्रधरपुर . मागुरदा गांव स्थित गांधी चबूतरा पर हुई ग्रामसभा

ग्रामीणों ने देउरी के परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत, उठना-बैठना, लेन-देन व स्नान घाट में नहाना तक किया बंद
ग्रामीणों ने निर्णय का उल्लंघन करने पर 10 हजार रुपये एवं बकरा दंड लेने का लिया निर्णय
चक्रधरपुर : हतनातोड़ांग पंचायत में मागे पर्व के अवसर पर देउरी चंद्रमोहन हांसदा द्वारा जायरा (सरना) स्थल पर पूजा नहीं करने पर नाराज ग्रामीणों ने देउरी व उसके पूरे परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया. मंगलवार को मागुरदा गांव स्थित गांधी चबूतरा में ग्रामीण मुंडा वीरसिंह हांसदा की अध्यक्षता में ग्रामसभा हुई. जिसमें मुखिया मिलन बांकिरा भी उपस्थित थे. ग्रामसभा में भी देउरी चंद्र मोहन को बुलाया गया. लेकिन देउरी ने आने से इनकार कर दिया.
जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने देउरी श्री हांसदा व उसके पूरे परिवार का बहिष्कार करने का निर्णय लिया. साथ ही बातचीत, उठना-बैठना, पानी लेन-देन करना भी बंद करने का निर्णय लिया गया. गांववासी जिस जगह में स्नान करते हैं, उस स्थान में देउरी को स्नान करने से रोक दिया गया. कहा गया है कोई भी ग्रामवासी देउरी श्री हांसदा के घर में काम नहीं करेगा.
कहा गया कि निर्णय का अगर कोई भी उल्लंघन करता है, तो उससे आर्थिक दंड 10 हजार रुपये व बोदा वसूला जायेगा. अगर ग्रामवासी देउरी से सलाह लेना चाहते हैं, सुलह करना चाहते हैं या माफी मांगना चाहते है तो उसे 20 हजार रुपये व दो बोदा (12-12 किलो का) देना होगा. मौके पर गुखारी हेंब्रम, बिरंग हेंब्रम, गांगी सवैयां, सोमवारी बांकिरा, गोला राम केराई, रतन हांसदा, नंदलाल हांसदा, राम केराई, लांडु केराई समेत अन्य मौजूद थे.
मुंडा वीरसिंह हांसदा को बनाया नया देउरी: सर्वसम्मति से गांव के मुंडा वीरसिंह हांसदा को गांव का नया देउरी के रूप में चयन किया गया.
क्यों किया बहिष्कार
मुखिया मिलन बांकिरा के अनुसार देउरी चंद्रमोहन हांसदा को बैठक में शामिल नहीं होने के कारण सामाजिक बहिष्कार किया गया. मागे पर्व आयोजन को लेकर तीन बार ग्रामीणों की बैठक हुई. लेकिन एक भी बैठक में देउरी शामिल नहीं हुए. दूसरी ओर, देउरी श्री हांसदा ने बताया कि मागे पर्व के पूजा के लिए हड़िया बनाया जाना था. लेकिन मेरे घर में हड़िया बनाने वाला कोई नहीं है. इसलिए मैंने पूजा में भाग लेने से मना किया था.

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