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सिंहभूम में फॉरेस्ट व माइनिंग टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा

चाईबासा : सारंडा के घने वनों के चलते विदेशों में लैंड ऑफ फॉरेस्ट के नाम से विख्यात पश्चिम सिंहभूम जिले को प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीवों के प्रति उत्साही लोगों के लिए बेहतर शिक्षा आधारित पर्यटन स्थल मुहैया कराने की कवायद जिला प्रशासन द्वारा शुरू किया जा रहा है. प्रकृति की वादियों में समय गुजारना चाहनेवाले […]

चाईबासा : सारंडा के घने वनों के चलते विदेशों में लैंड ऑफ फॉरेस्ट के नाम से विख्यात पश्चिम सिंहभूम जिले को प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीवों के प्रति उत्साही लोगों के लिए बेहतर शिक्षा आधारित पर्यटन स्थल मुहैया कराने की कवायद जिला प्रशासन द्वारा शुरू किया जा रहा है. प्रकृति की वादियों में समय गुजारना चाहनेवाले पर्यटकों के लिए जिले को प्रकृति की देन, सुंदर पहाडियों की शृंखला, जंगल व झरनों तक पहुंच आसान बनायी जा सके.

जिले की समृद्ध संस्कृति और एेतिहासिक विरासत, पारिस्थितिक विविधता, चारों ओर फैली प्राकृतिक दृश्यावलियों वाले इलाके और स्थान इसे पर्यटकों की दृष्टि में महत्वपूर्ण बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो आनेवाले समय में जिले के लिए पर्यटन आय का महत्वपूर्ण स्रोत होने के साथ ही जिले के लोगों के लिए बड़ा रोजगार देनेवाला भी साबित हो सकता है. जिले के सेवा क्षेत्र में पर्यटन और आतिथ्य उद्योग को विकास के मुख्य संवाहक के रूप में देखा जा रहा है. 2000 में राज्य के गठन के बाद पहली बार जिले में एक व्यापक पर्यटन नीति तैयार करने की पहल हो रही है.

इसके तहत जिले में पर्यटन की बेहतर आधारभूत संरचना विकसित करने के साथ ही यहां के कम ज्ञात पर्यटन स्थलों को विकसित कर पर्यटकों को वहां पहुंचने के लिए प्रोत्साहित भी किया जायेगा. इसके लिए आगंतुकों को बेहतर मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए प्रमुख पर्यटन स्थलों पर विशेष पर्यटन मित्र नियुक्त किये जायेंगे. हाल के वर्षों में, जिले ने काफी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित किया है.

खदानों की गहराई में जाने की पर्यटकों को मिलेगी अनुमति
इसकी व्यवस्था के तहत पर्यटकों को अब यहां की खदानों के अंदर जाने की अनुमति दी जायेगी. पर्यटक बंद व खुली माइंस को देख सकेंगे. सूत्रों की मानें तो खनन पर्यटन पहले वयस्क पुरुषों के लिए शुरू किया जायेगा. बाद में महिला पर्यटकों को भी इसके लिए खोला जायेगा. हालांकि बच्चों के लिए यह उपयुक्त नहीं होने के कारण उनके लिए इस पर कड़ा प्रतिबंध रहेगा. देश में अपनी तरह की पहली कोशिश के तहत पर्यटक खदानों के कई किलोमीटर अंदर तक जा सकेंगे. इससे टूरिज्म को बढ़ावा मिलने के साथ ही लोगों में लौह अयस्क के खनन की जानकारी भी बढ़ेगी. अमेरिका, चिली, ब्राजील सहित कई देशों में पर्यटकों के बीच खनन पर्यटन काफी लोकप्रिय है.
खनन पर्यटन के विकास की भी है योजना
वन्यजीव पर्यटन व सुंदर मौसम के लिए अनुकूल इस जिले के पर्यटन मानचित्र में एक अतिरिक्त अध्याय खनन पर्यटन के रूप में शामिल किया जा रहा है, जो जिले में आनेवाले पर्यटकों को अलग अनुभव प्रदान करेगा. झारखंड के अधिकांश उद्योगों के लिए रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले आरन-ओर खनन के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन माइनिंग टूरिज्म को बढ़ावा देगा. जिला प्रशासन की खनन पर्यटन को बड़े पैमाने पर विकसित करने की योजना है. इसके लिए खदानों को पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा. इसके लिए बंद पड़ी खदानों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जायेगा.

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