चक्रधरपुर : चक्रधरपुर के 15 नमाजगाहों में शनिवार को ईद उल अजहा (बकरीद) की नमाज अदा की गयी. मदीना मसजिद बंगलाटांड में दो जमाअत, मसजिद ए उमर मिल्लत कॉलोनी, नूरानी मसजिद दंदासाई, मदरसा नूरिया रिजविया, मदरसा गौसिया मुजाहिदनगर, अलहे हदीस छोटी मसजिद, जामा मसजिद वार्ड-6, लोको मसजिद, मसजिद ए बिलाल चांदमारी, मसजिद ए आयशा पोटका, नूरी मसजिद देवगांव, मसजिद ए शम्सी मंडलसाई, नूरी मसजिद चोंगासाई, जामा मसजिद सिमिदीरी, नूरी मसजिद पारसाई में बकरीद की नमाज अदा की गयी.
सुबह 7.30 से 8.30 के बीच सभी मसजिदों में नमाज अदा की गयी. दो रिकअत नमाज वाजिब छह अतिरिक्त तकबीरों के पढ़ी गयी. नमाज के बाद लोग गले मिले, मुसाफा किये, मुबारकबाद दिये, कब्रिस्तानों में जाकर मुर्दों के लिए बख्शीश की दुआ किये, खैरात दिये और फिर घर लौट कर कुर्बानी दिये. नमाज के बाद पढ़े गए खुतबे में सभी मुकतदी दोजानु बैठ कर खुतबा सुने, फिर दुआ भी मांगी गई. इस दौरान नमाजगाहों व प्रमुख स्थानों पर पुलिस बल तैनात थे. सादगी व सौहार्द के वातावरण में त्योहार मना.
तकरीर में याद किये गये हजरत इब्राहीम व हजरत इस्माई (अ.):
सभी नमाजगाहों में बकरीद पर विशेष तकरीर की गयी. जिसमें ओलेमा ने कहा कि हजरत इब्राहिम अलैहिस सलाम 84 वर्ष के हो गए थे, अभी तक गोद उनकी सुनी थी. बड़े ही तकलीफ से जिंदगी बसर हो रही थी, औलाद की चाह ने तोड़ दिया था. उन्हें और उनकी बीवी हाजरा रजि अल्लाहु अनहा को, तकरीबन 60 वर्ष से दुआ कर रहे थे अपने रब से कि ‘ए मेरे रब एक औलाद की चाह है बस पूरी कर दे, एक ही आरजू है बस पूरी कर दे’ और जारो कतार रोते अपने रब को राजी करने के लिए कि मेरा रब मुझसे रूठा है इसलिए मेरी मिन्नतें पूरी नहीं होती. अपने रब से जो बरसों से आरजू अधूरी थी वह पूरी हो गयी.
मीन्नतों के बाद इस्माइल (अ.) की पैदाइश हुई. बड़े अच्छे से दिन गुजर रहे थे. यहां तक की इस्माइल 6-7 वर्ष के हो गये तो एक रात उनके बाप हजरत इब्राहिम (अ) ने एक ख्वाब देखा जो उनके रब की तरफ से था कि ’इस्माइल को कुर्बान करो अगर तुम अपने रब के फरमांबरदार हो’ सुबह होते ही अपनी बीवी हाजरा को कहा इस्माइल को नये कपड़े पहना कर तैयार करिये उन्हें सैर पर ले जाना है और बाप बेटे दोनों घर से जंगलों के तरफ निकल पड़े. इस्माइल बाप की उंगली पकड़ कर तोतली जुबान में हंसते बतियाते उछलते कूदते जा रहे थे और बाप इब्राहीम आंख में आंसू लिए सिर्फ उनका मुंह टूकुर टूकुर ताके जा रहे थे.
जैसे ही दोनों जंगल में पहुंचे तो इब्राहिम ने कहा ‘ए इस्माइल तू जानता है अल्लाह मुझसे भी अच्छा है और जन्नत दुनिया से भी बेहतर जगह है और अल्लाह ने तुझे अपने पास जन्नत में बुलाया है’ तेरा रब चाहता है कि मैं तुझे कुर्बान कर दूं, ए इस्माइल तेरी क्या राय है. झट से इस्माइल ने कहा ‘अब्बा यानी अल्लाह तुमसे भी अच्छा और जन्नत दुनिया से भी बेहतर तो फिर देर किस बात की है जल्दी से मुझे कुर्बान करो’ अगर अम्मां पूछेगी और रोएगी तो यह मेरा कुर्ता अम्मां को दे देना और कहना जब भी मेरी याद आये मेरे कुर्ते को देख लिया करे और आप मुझे अपने कुर्ते में कफन करके यहीं दफन कर दें,
क्योंकि मक्का ले जाने में मेरी अम्मां और दोस्तों को बहुत दुःख होगा और वह रो पड़ेंगे. यह सब सुनते ही इब्राहिम फूट फूट कर रो पड़े तो इस्माइल ने बुलंद आवाज में कहा अब्बा ‘इन्नल लाह माअस साबेरीन( बेशक अल्लाह को सब्र करने वाले पसंद हैं ) और तुम भी मुझे सब्र करने वालों में ही पाओगे और कहा कि ‘अब्बा मुझे उलटा लेटा कर कुर्बानी देना कहीं ऐसा न हो के आप की नजर मेरे चेहरे पर पड़े और आप पलट जाए’ फिर क्या यही हिम्मत तो चाहिए था इब्राहिम को और अपने कलेजे के टुकड़े का हाथ पांव बांधा और कमर को अपने घुटने पर रखा और सर के बाल खिंचे और नीचे के तरफ से छुरी रखा गर्दन पर चलाने के लिए पर हाथ कांपने लगा.
इब्राहिम थम गये और आसमान की तरफ देख कर अपने रब से कहा ‘ए मेरे रब, तू मुझसे क्यों नाराज है, क्या इस्माइल की मोहब्बत मेरे दिल में तुझसे ज्यादा जगह पैदा कर दी तो तू समझ बैठा कि इस्माइल तुझसे ज्यादा अजीज है मेरे लिये, यह कहते ही इस्माइल के गर्दन पर छुरी चलाई कि तुरंत इस्माइल की जगह न जाने कहां से दूंबा आ गया और गैब से आवाज आयी कि ‘ए इब्राहिम तुझे तेरे रब ने सच्चा और सब्र करने वाला पाया तो तेरे इस्माइल की कुर्बानी कुबूल की और तेरे इस्माइल को फिर से लौटाया’.