नोवामुंडी : टाटा स्टील की नोवामुंडी आयरन माइंस ने पूर्वी राज्यों में खनिजों के थ्रेसहोल्ड वैल्यू निर्धारित करने के लिए आइबीएम के माध्यम से स्टेक होल्डरों को कंसल्टेशन की सुविधा प्रदान की. उक्त बातें आइबीएम के कंट्रोलर जेनरल रंजन सहाय ने कहीं. वे जेआरडी टाटा ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट ऑडिटोरियम नोवामुंडी में इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस (आइबीएम) […]
नोवामुंडी : टाटा स्टील की नोवामुंडी आयरन माइंस ने पूर्वी राज्यों में खनिजों के थ्रेसहोल्ड वैल्यू निर्धारित करने के लिए आइबीएम के माध्यम से स्टेक होल्डरों को कंसल्टेशन की सुविधा प्रदान की. उक्त बातें आइबीएम के कंट्रोलर जेनरल रंजन सहाय ने कहीं. वे जेआरडी टाटा ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट ऑडिटोरियम नोवामुंडी में इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस (आइबीएम) की कार्यशाला में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि आइबीएम केंद्रीय खान मंत्रालय के अधीन एक विभाग है,
जो खनिज संसाधनों के संरक्षण व विकास के लिए काम करता है. श्री सहाय ने वैज्ञानिक तरीके से खनन और व्यवस्थित अन्वेषण पर विचार प्रकट किये. उन्होंने सर्वेक्षण, खदानों की योजना व प्रबंधन में ड्रोन के इस्तेमाल पर बात की और इसे सिस्टम में लाने के लिए स्टेक होल्डरों से सुझाव मांगे.
कार्यक्रम को टाटा स्टील ओएमक्यू डिवीजन के जेनरल मैनेजर पंकज सतीजा व टाटा स्टील के कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस एंड रेगुलेटरी अफेयर्स के ग्रुप डायरेक्टर चाणक्य चौधरी ने संबोधित किया. आइबीएम रांची के रिजनल कंट्रोलर ऑफ माइंस अनुपम नंदी, आइबीएम के चीफ माइनिंग जियोलॉजिस्ट एस के अधिकारी सहित टाटा स्टील, सेल, रुंगटा माइंस, एस्सेल माइनिंग, त्रिवेणी जैसी माइनिंग कंपनियों और पूर्वी क्षेत्र के नीति निर्धारकों व नियामकों समेत 150 स्टेक होल्डरों ने हिस्सा लिया.
टाटा स्टील ने स्टेक होल्डरों को कंसल्टेशन की सुविधा दी
सर्वेक्षण, खदानों की योजना व प्रबंधन में ड्रोन के इस्तेमाल पर चर्चा